🌺 *शुद्ध भक्त* 🌺 *शुद्ध भकत-चरण-रेणु,भजन अनुकूल।* *भक्त-सेवा, परम-सिद्धि प्रेमलतिकार मूल।।1।।* *माधव-तिथि, भक्ति-जननी, यतने पालन करि।* *कृष्णवसति, वसति बलि’, परम आदरे बरि।।2।।* *गौर आमार, ये-सब स्थाने, करल भ्रमण रंगे।* *से-सब स्थान, हेरिब आमि, प्रणयि-भक्त संगे।।3।।* *मृदंग-वाद्य, शुनिते मन, अवसर सदा याचे।* *गौर-विहित, कीर्तन शुनि, आनन्दे हृदय नाचे।।4।।* *युगल-मूर्ति, देखिया मोर, परम आनन्द हय।* *प्रसाद-सेवा, करिते हय, सकल प्रपञ्च जाय।।5।।* *ये दिन गृहे, भजन देखि, गृहेते गोलोक भाय।* *चरण-सिंधु, देखिया गंगा, सुख ना सीमा पाय।।6।।* *तुलसी देखि, जुड़ाय प्राण, माधव तोषणी जानि।* *गौर-प्रिय, शाक-सेवने, जीवन सार्थक मानि।।7।।* *भक्तिविनोद, कृष्णभजने, अनुकूल पाय याहा।* *प्रति दिवसे, परम सुखे, स्वीकार करये ताहा।।8।।* 1. शुद्ध भक्तों की चरणधूलि भक्ति के अनुकूल है और वैष्णवों की सेवा परम सिद्धि तथा दिव्य प्रेम रूपी कोमल लता की मूल है। 2. मैं ध्यानपूर्वक भगवान् माधव के लीला-दिवसों को मनाता हूँ क्योंकि वे भक्ति की जननी हैं। अपने निवास के लिए मैं अत्यन्त आदर के साथ भगवान् श्रीकृष्ण क
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