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🌷 ||द्वितियावाणी || 🌷
🌷 ||अभय वाणी ||🌷
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
मा भै: ( डरो मत )
🌹🌹🌹मैं सत्य कह रहा हूँ - जो मेरा नाम लेते है , पाषाण - काष्ठसदृश होने पर भी मैं उन्हे मृत्युकाल में अभीष्ट प्रदान करता हूं | नाम ले , अविराम नाम ले -- मैं सब भार ग्रहण करूँगा | तू एक दम निश्चिंत हो जायेगा | आ संसार पीड़ित, साधन भजनहीन ! आ संतप्त, तृषित, भोगलुब्द ! दौड़ आ , -- आ रोज़ -शोक-यंत्रणा से व्याकुल, -- आ बालक, वृद्ध, युवक , युवती -- आओ, आओ पापी- पुन्यवान् , ब्राह्मण- चाण्डाल ! आओ, आओ रे मूर्ख- ज्ञानी, धनवान् - निर्धन -- सब मेरा नाम लो, नाम लो , नाम लो | तुम्हारे सब दुख दूर होगे, तुम सब आनन्दसागर में डूब जाओगे |
💫नस-नस रक्त- प्रवाह में होये नाम-धुनी नित्य |
राम- नाम अंकित रहे अस्थि- अस्थि में सत्य ||💫
' नस-नस में रक्त प्रवाह के साथ नाम- ध्वनी संचार करे | हड्डी- हड्डी में राम-नाम-महावाणी अंकित हो जाय |'
ज़ितना ले सकते हो, नाम लो ; ज़ितना सुन सकते हो , नाम सुनो ; मेरा चैतन्यमय़ नाम सुनना, लेना व्यर्थ नहीं जाता; ज़ितना नाम उतना ही आनन्द !
💫श्रद्धया हेलया नाम रटन्ति मम जन्तव: |
तेषां नाम सदा पाथ वर्तते हृदये मम || 💫
हे पार्थ ! श्रद्धा या अवहेलना से जो मेरा नाम रटते है , उन मनुष्यो के नाम मेरे हहृदय में सदा वर्तमान रहते है |
💫येन केन प्रकारेण नाममात्रस्य जल्पका: |
श्रमं विनैव गच्छन्ति परे धाम्नि समादरात् || 💫
' जिस किसी भी तरह केवल नाम मात्र का जप करने वाले बिना ही श्रम के बड़े आदर के साथ परम धाम को चले जाते है |'
अरे प्रियतम ! मेरा नाम ले , निर्भय हो जायेगा | 🌹🌹🌹
मा भै: | मा भै: | मा भै: |
( डरो मत | डरो मत | डरो मत |)
.... श्री श्री सीतारामदास ओंकारनाथ माहारजजी के अभय वाणी से🙏🙏🙏
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