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🌷 *||तृतीया वाणी||* 🌷
🌷 *||अभय वाणी से||*🌷
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||*
🌹🌹🌹 *ओ प्रियतम रोग-शोक-अभाव में रात-दिन जल रहा है। केवल रो रहा है? अब मत रो। मेरा नाम ले। तेरे सब दुख दूर होगें। संशय मत कर, चाहे भक्ति - श्रद्धा न हो,* *अविराम नाम लेने से तू कृतार्थ हो जायेगा।*
💫तन्नास्ति कर्मजं लोके वाग्जं मानसमेव वा |
यन्न क्षपयते पापं कलौ गोविन्दकीर्तनम् ||💫
*'संसार में ऐसा कोई मन-वचन-कर्मजनित पाप नहीं, जो कलियुग में मेरे नाम - कीर्तन से नष्ट न हो जाय ; नाम ले, नाम ले, नाम ले!'*
*उठते-बैठते, खाते-सोते, सुख मे दु:ख में, अभाव में-बाहुल्य में-एकान्त में, स्वप्न में-जागरण में मेरा नाम ले | मैं प्रतिज्ञा करके कह रहा हूं -- तेरा सब भार मैंने ग्रहण कर लिया |तुझे कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं | मेरा प्रेम प्राप्त कर! तू सदा के लिये निश्चिंत हो जायगा | तेरी सात पीढ़ियाँ, जो बीत चुकी हैं, और चौदह पीढ़ियाँ जो आयेगी, उनका उद्घार हो जायगा |*
💫तस्मान्नामानि कौन्तेय भजस्व दृढमानस: |
नामयुक्त: प्रियोस्माकं नामयुक्तो भवार्जुन ||💫
'अर्जुन ! अतएव तू दृढ़ चित्त से नाम-भजन कर ; नामयुक्त , मेरे प्रिय ! तू नामयुक्त हो |
*अरे,कलियुग में मैं नाम रुप से आया हूं | नाम ले, नाम ले, नाम ले ||* 🌹🌹🌹
मा भै: | मा भै: | मा भै:
*( डरो मत | डरो मत | डरो मत |)*
*.... श्री श्री सीतारामदास ओंकारनाथ माहारजजी के अभय वाणी से* 🙏🙏🙏
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