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Showing posts from June, 2017

अष्ट कुंज

🙏🏼🏟श्री राधाकुंड- अष्ट सखी कुञ्ज🏟🙏🏼 〰〰〰〰〰〰〰〰〰 💫श्री राधाकुंड का सौंदर्य अपार है।ये श्री कृष्ण को अत्यंत आनंद प्रदान करने वाला है।इस सरोवर की शोभा और महिमा क्षीर सागर का तिरस्कार करती हैं, क्योकि समुद्र में 1 ही स्थान पर श्री हरि लीला हुई ,परन्तु श्रीकुण्ड के समस्त जल-स्थल में श्री कृष्ण लीलाएं निरंतर होती हैं। *अष्ट कुंजो का वर्णन* 〰〰〰〰〰〰 1)⛲ *श्री लालितानंदद कुञ्ज* - ये श्री ललिता जी का कुञ्ज है जो की श्री राधाकुंड के उत्तर दिशा के घाट के किनारे स्थित है।ललिता जी ने अपनी शिष्य कलावती जी को इस् कुञ्ज की देखभाल के लिए नियुक्त रखा है।ये कुञ्ज लीलाओं के आवश्यकतानुसार छोटी बड़ी हो सकती है।इसमें सब ऋतुएँ निरंतर विद्यमान रहती हैं।लीला सम्बन्धी सब द्रव्य और सखियां इस कुञ्ज में हर समय विद्यमान रहती हैं। 2) 🎑 *श्री मदनसुखद कुञ्ज* - ये श्री विशाखाजी का कुञ्ज है जो श्री ललिता जी कुञ्ज के ईशान कोण में स्थित है।देखने में ये राजभवन जैसा प्रतीत होता है।इस कुञ्ज में सुन्दर चंपक वृक्ष,विभिन्न पुष्प तथा मालती लताएं है।श्री विशाखा जी की शिष्या श्री मंजुमुखी इसकी देखभाल के लिए नियुक्त हैं।

टटिया स्थान

" तटिया स्थान " स्थान - श्री रंग जी मंदिर के दाहिने हाथ यमुना जी के जाने वाली पक्की सड़क के आखिर में ही यह रमणीय टटिया स्थान है.विशाल भूखंड पर फैला हुआ है किन्तु कोई दीवार,पत्थरो की घेराबंदी नहीं है केवल बॉस की खपच्चियाँ या टटियाओ से घिरा हुआ है इसलिए तटिया स्थान के नाम से प्रसिद्ध है. संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास जी महाराज की तपोस्थली है. यह एक ऐसा स्थल है जहाँ के हर वृक्ष और पत्तों में भक्तो ने राधा कृष्ण की अनुभूति की है,संत कृपा से राधा नाम पत्ती पर उभरा हुआ देखा है. स्थापना - स्वामी श्री हरिदास जी की शिष्य परंपरा के सातवे आचार्य श्री ललित किशोरी जी ने इस भूमि को अपनी भजन स्थली बनाया था.उनके शिष्य महंत श्री ललितमोहनदास जी ने सं १८२३ में इस स्थान पर ठाकुर श्री मोहिनी बिहारी जी को प्रतिष्ठित किया था. तभी चारो ओर बॉस की तटिया लगायी गई थी तभी से यहाँ के सेवा पुजाधिकारी विरक्त साधू ही चले आ रहे है.उनकी विशेष वेशभूषा भी है. विग्रह - श्रीमोहिनी बिहारी जी का श्री विग्रह प्रतिष्ठित है. मंदिर का अनोखा नियम... ऐसा सुना जाता है कि श्री ललितमोहिनिदास जी के समय इस स्थान का यह नि

मेरे जीवन की डोर भजन

मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे चरणन में | किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे चरणन में || तेरी ऊँची अटारी प्यारी, मैं वारी तेरी गलियन पे | मेरी जीवन की हो जाये भोर, किशोरी तेरे चरणन में || तू एक इशारा कर दे, मई दौड़ी आऊं बरसाने | मैं तो नाचूं बन कर मोर, किशोरी तेरे चरणन में || मेरा पल में भाग्य में बदलदे इशारा तेरी करुणा का | मेरे जन्मों की कट जाए डोर, किशोरी तेरे चरणन में || थक सा गया हूँ जगत झंझट में स्वामिनी बाल में तुम्हारा | भाव सागर में डूब रहा है सूजत नाही किनारा || ऐसे दीन अनाथ को तुम को कौन सहारा | आओ और पकड़ लो उंगली अपना जान दुलारा | मेरी आहों से झोली भर दे तू बस जा तन मन में | मुझे ढूंढें नन्द किशोर, किशोरी तेरे चरणन में ||