गोपीनाथ आमारे उपाय नहीं
*गोपीनाथ आमार उपाय नाय* *तुमहिं कृपा करि आमार लोइले संसारे उद्धार पाय* हे गोपीनाथ !! मेरा इस भव सिंधु से निकलने का कोई मार्ग नहीं है।आप ही कृपा कीजिये जिससे मेरा इस संसार से उद्धार हो। *गोपीनाथ पोरीछिबा मायारे फेरे* *धन , दारा ,सुत घिरेछे आमारे कामाते रेखेछे जेरे* हे गोपीनाथ !! यह मन माया के फेर में पड़ा हुआ है।धन, पत्नी, पुत्र का लोभ धर माया ने मुझे कामवश कर रखा है। *गोपीनाथ मन जे पागल मोर* *न माने शासन ,सदा अचेतन विशयेरे एचे घोरा* हे गोपीनाथ !!मेरा यह मन संसार मे पागल हो चुका है, जो आपके शासन को न मानकर,अचेतन हुआ पड़ा है तथा घोर विषयों में पड़ा हुआ है। *गोपीनाथ हारा जे मेनेचे आमि* *अनेक जतन होइलो विफल इखोंना भरोसा तुमहिं* हे गोपीनाथ !! मैंने हर तरह से अपनी हार मान ली है।मेरे सब प्रयत्न असफल हो चुके हैं, केवलमात्र आप ही मेरा भरोसा हो। *गोपीनाथ केमोने होइबे गति* *प्रबल इन्द्रिय वशीभूत मन न छाड़े विषय रति* हे गोपीनाथ !! मेरी इस विषय भोग से से गति किस भाँति होगी? यह मन प्रबल इंद्रियों के वशीभूत होकर विषयों से प्रेम नहीं छोड़ता है। *गोपीनाथ हृदय बसिया मोर* *मानके समिया लाहो निज