राधारमण बधाई
*श्रीराधारमण बधाई पद* पूरण बैसाखी सखी अभिलाषी राधारमण मिलाई । श्रीवृन्दावन राज सुहावन करें अभिषेक महाई ॥ मणिमय खंभा रोपैं रंभा वंदनवार बंधाई । शुभ चंद्रातप रोके आतप ध्वज पताक फहराई ।। चौक समुक्ता फल उपयुक्ता कनक कुम्भ थिरकाई । रचौ सरोवर रुचिर मनोहर स्नानवेदि ता मांई ॥ दोऊ जन भेटे सुखसों बैठे नैनन में बतराई। अभरन मोती लालन धोती पटका पाग सुहाई ॥ तिय सुकुमारी झीनी सारी भूषण रूप सदाई । कोई लिये छत्र कोई फलपत्र कोई सु चमर डुलाई ।। कोई मोरछल कोई ले उत्पल कोई घंटान बजाई। कोई लै पंखी करत निसंखी कोई दरपण दरसाई || कोई झालरी कोई करतालरी सुर घड़ियाल मिलाई । कोई मिरदंग कोई मुहचंग सारंगी लहराई || कोई सखी बीणा परम प्रवीणा गामें सुरन उठाई। कोई नाचत कोई पुस्तक बांचत वेदध्वनि नभ छाई ।। कोई रसमर्दन कोई उद्वर्तन धीरे अंग लगाई। कोई जल डारे कोई निरवारे पंचामृत अवगाई ॥ कोई सर्वौषधि कोई महौषधि तिल तिल नेह बढ़ाई। पुष्प फल रत्न गंधसम्पन्न सुघट सहस्र झर लाई ।। आये स्नान अंग पोंछे पुनि सिंहासन बैठाई । पीरो जामा सुभग पजामा दुपटा पाग झुकाई ।। मोरमुकट सिर किंकिणी कटिधर कुण्डल हार धराई। बेंदी वेसर तिलक