Posts

Showing posts from August, 2017

नित्यानन्द प्रभु चालीसा

नित्यानन्द प्रभु चालीसा ****************** जय बलराम अभिन्न निताई । जय जान्हवा पतिहि प्रभुराई ।।1।। जय जय सेवक विग्रह रूपा। सेव्य गौर को दास अनूपा।। 2।। जय जय नित्य गौर कउ संगी। सेवहि गौरहु नाना रँगी।।3।। गौर कृष्ण अवतरिन मूला । आदि पुरसु  विस्तारी खेला।।4।। स्वयं रूप असि बेद बखाने। सोहि अभिन्न स्वांश उपजाने।।5।। प्रथम अभिन्न रूप बलरामा। सेवक सेव्य एक भगवाना।।6।। नाम रूप को भेद द्विरूपा। अन्यथा एकु तत्व अनूपा।।7।। रूप विखंडित कबहुँ न ह्वै हैं। सचिदानन्द बेद कहहि हैं।। 8।। नित्यानन्द विविध कर रूपा। प्रकटहि रूप अनन्त अनूपा ।।9।। धाम सिंघासन पद कउ चौकी।मुकुट ब्रिछ उपकरण अनेकी।।10।। सोहि राम निज रूप कु लेव्हि। सोहि राम प्रभजु के सेवहि।।11।। सोहि प्रथम चतुर्व्यूह रूपा । करें विस्तार बहु विधि रूपा ।। 12।। पुनि हरि कोटि चतुर्भुज रूपा।सजहिं बैकुंठ दिव्य अनूपा ।।13।। द्वितीय चतुर्भुज सोहि रचहि । सबहि रूप ते हरि के सेवहि।।14।। तिनिते प्रथम पुरसु अवतारा। कारन जलनिधि कीन्ह पसारा।।15।। कोटि कोटि ब्रह्मांड अपारा।सोही राम छिद्र उपजारा।।16।। दूसरू पुरसु सबे ब्रह्मंडा। गर्भोधिक निधि शय

भक्त नामावली हरिवंशी

भक्त नामावली भक्त नामावली श्री हरिवंश नाम ध्रुव कहत ही , बाढ़े आनन्द बेलि । प्रेम रँग उर जगमगे, जुगल नवल रस केलि ।।1।। निगम ब्रह्म परसत नहीं, जो रस सब तें दूरि। कियो प्रकट हरिवंश जु, रसिकनि जीवन मूरि ।। 2।। श्री वंचन्द्र चरन अंबुज भजहि , मन क्रम बचन प्रतीति। वृन्दावन निज प्रेम की, तब पावै रस रीति ।। 3।। श्री कृष्णचंद के कहत ही, मन को भ्र्म मिट जाइ। विमल भजन सुख सिंधु में, रहे चित ठहराई ।। 4।। श्री गोपीनाथ पद उर धरें , महा गोप्य रस सार । बिनु विलंब आवै हिये , अद्भुत जुगल विहार ।। 5।। पति , कुटुंब, देखत सबे , घूंघट पट दिये डारि। देह गेह बिसरयो तिन्हीं, श्री मोहन रूप निहार ।। 6।। धीर गम्भीर समुद्र सम , सील सुभाव अनूप। सब अँग सुंदर हँसत मुख, अद्भुत सुखद सरूप।। 7।। शुक, नारद, उद्धव, जनक, प्रह्लादिक, सनकादिक। ज्योँ हरि आपुन नित्य हैं, त्यों ये भक्त अनादि ।। 8।। प्रकट भयो जयदेव मुख, अद्भुत गीत गोविन्द। कह्यो महा सिंगार रस, सहित प्रेम मकरन्द।। 9।। पद्मावति जयदेव, प्रेम बस कीने मोहन । अष्ट पदी जो कहे, सुनत फिरे ताके गोहन।। 10।। श्रीधर स्वामी तो मनों, श्रीधर प्रकटे आनि। तिल

भक्त नामावली

भक्त नामावली ************ हमसों इन साधुन सों पंगति। जिनको नाम लेत दुख छूटत सुख लूटत तिन संगति ।। 1।। मुख्य महन्त काम रति गणपति आज महेश नारायण। सुर नर असुर पक्षी पसु जो हरिभक्ति परायण ।। 2।। वाल्मीक नारद अगस्त्य सुक व्यास सूत कुलहीना । सबरी स्वपच वसिष्ठ विदुर विदुरानी प्रेम नवीना ।। 3।। गोपी द्रोपदी कुंती आदि पंडवा ऊधौ । विष्णु स्वामी निम्बार्क माधौ रामानुज मग सूधौ ।। 4 ।। लालचारज धनुरदास कुरेस भाव रस भीजै । ज्ञानदेव गुरु सिष्य तिलोचन पटतर को कहि दीजै ।। 5।। पदमावती चरन को चारन कवि जयदेव जसीलौ । चिन्तामनी चिद रूप लखायो विल्वमंगल्हि रसिलौ ।। 6।। केसवभट्ट श्रीभट्ट नारायनभट्ट गदधरभट्टा । विट्ठलनाथ वल्लभाचार्ज ब्रज के गूजर जट्टा ।। 7।। नित्यानन्द अद्वैत महाप्रभु सचिसुवन चैतन्या । भट्टगुपाल रघुनाथ गुसाईं मधु गुसाईं धन्या ।।8।। रूप सनातन भज वृन्दावन तजि दारा सुत सम्पति । व्यासदास हरिवंस गुसाईं दिन दुलराई दम्पति ।। 9।। श्रीस्वामी हरिदास हमारे विपुल बिहारिन दासी । नागरि नवल माधुरी वल्लभ नित्य बिहार उपासी।। 10।। तानसेन अकबर करमेती मीरा करमाबाई । रत्नावती मीर माधौ रसखान रीत

आमादेर आमादेर संत वाणी

आमादेर आमादेर आमादेर गौर प्राणगौराराय राधाभावे विरहणी उन्मादिनी प्राण गौराराय कृष्ण अन्वेशकारिणी प्राण गौराराय बनी बनी विरहणी उन्मादिनी प्राणगौराराय बोल ब्रजेर तरु लता शाम बन्धु गेलो कोथा बोल बोल ओ काली जमुना कोथाय आमार काला सोना कर जोरे विनती करी मिलाय जावो वंशी धारी बोलो बोलो ब्रजेर धेनु कोथाय आमार काला कानू शाम बन्धु गेलो कोथा बोलो ब्रजेर तरु लता प्राण गौराराय आमादेर आमादेर आमादेर प्राणगौराराय