भक्त चरित्र बाबा माधवदास जी
बाबा श्रीमाधवदासजी 🌿सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात जैसे ही बाबा सड़क की ओर चले तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला- बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ। बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ तो जेई चुनरी चाहिए। बाबा बोले- ये चुनरी श्री जी की प्रसादी है। 🌿 जाय नाय दूंगौ। ऐसो कहिकै बाबा आगे चल दिए। थोड़ी दूर ही गए होंगे कि इतने में ही पीछे ते बालक दौड़तो भयो आयौ और बाबा के कंधे पै ते चुन्नी खींच कै भाग गयौ। बाबा कहते रह गए -अरे ! मेरी बात तो सुनौ लेकिन वह कहां सुनने वाला था। बाबा विचार करते ही करते रह गए कि बालक कौन था। जो इस प्रकार चुन्नी खींच कर ले गया । 🌿बाबा बरसाने में श्री धाम वृंदावन लौट आए । शाम को बाबा श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए आए तो देखा आज श्रीबिहारीजी के परम आश्चर्यमय दर्शन हो रहे हैं। जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में