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Showing posts from June, 2018

तुलसी माला

तुलसीमाला पहनते हैं, तो जरूर पढ़ें ये नियम...! तुलसी की माला साधारण काष्ठ नहीं है. तुलसी की माला वैष्णव चिह्न से भी आगे की चीज़ है। हमारा यह शरीर भगवान का मंदिर है जिसमें युगल सरकार राधाकृष्ण का वास है, और हमारी आत्मा ही प्रभु का शरीर है। जब हम तुलसी की माला गले में पहनते हैं तो हम कहते हैं, "हे मेरे प्यारे भगवान हम जैसे भी हैं तुम्हारे ही हैं।" हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र माना जाता है अक्सर घरों में परिवार की सुख-समृद्धि के लिए इसकी पूजा भी की जाती है। श्रीकृष्ण भगवान को तुलसी बहुत प्रिय है। यही कारण है कि उनके प्रसाद में तुलसी के पत्ते मिलाए जाते हैं उसी तरह तुलसी की माला को भी धारण करना अच्छा माना जाता है। लेकिन इसे धारण करने के लिए कुछ नियम हैं। ज्योतिष के मुताबिक, माना जाता है कि तुलसी की माला पहनने से बुध और गुरु ग्रह बलवान होते हैं। इसे पहनने से बुरी नजर के प्रभाव से बचा जा सकता है। इस माला को धारण करने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी प्रकार का दु:ख और भय नहीं सताता। * तुलसीमाला पहनने के कुछ नियम और फायदे* इसे पहनने से पहले गंगाजल डालकर फिर से शुद्ध कर ले

एक दोहे में 29 राज्य

कितने आश्चर्य की बात है....   भारत के 29 राज्यों के नाम.. *श्री. संत तुलसीदास* के इक दोहे में समाई हुई है। *राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ।* *पंक में उगोहमि अहि के छबि झाउ।।* ----------------------!------------------     रा - राजस्थान      ! पं- पंजाब म - महाराष्ट्र         ! क- कर्नाटक ना - नागालैंड       ! मे- मेघालय म - मणिपुर         ! उ- उत्तराखंड ज - जम्मू कश्मीर  ! गो- गोवा प - पश्चिम बंगाल   ! ह- हरियाणा ते - तेलंगाना         ! मि- मिजोरम अ - असम   !   अ- अरुणाचल प्रदेश त्रि - त्रिपुरा     ! हि- हिमाचल प्रदेश म - मध्य प्रदेश     ! के- केरल त - तमिलनाडु     ! छ- छत्तीसगढ़ गु - गुजरात         ! बि- बिहार   सि - सिक्किम     ! झा- झारखंड आ- आंध्र प्रदेश   ! उ- उड़ीसा उ - उत्तर प्रदेश    ! अत्यंत आश्चर्यजनक...👌🌺🙏🏻🌺

महाप्रभु जी

(((( श्री चैतन्य महाप्रभु )))) . ‘यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत’ का संदेश भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के महायुद्ध में अर्जुन को दिया था । . इसका तात्पर्य यह था कि जब-जब धर्म की अवनति होती है तब-तब ईश्वर किसी योगी महात्मा के रूप में अवतार लेते हैं और संदेश प्रचार आदि से धर्म की रक्षा करते हैं । . चौदहवीं विक्रमी संवत् के समय पश्चिम बगाल में अंधविश्वासों और रुढ़िवादियों का बोल बाला था । . नवद्वीप नाम के ग्राम में धारणा थी कि जब कोई नवजात शिशु जन्म लेता है तो शाकिनी डाकिनी नाम की चुड़ैल उस बालक का अनिष्ट करती हैं . परंतु यदि बालक का नाम निमाई रख दिया जाए तो उसका कोई अनिष्ट नहीं होता । . संवत् 1407 में फास्तुन मास की शुक्ल पूर्णिमा को एक ब्राह्मण परिवार में एक बालक का जन्म हुआ । . पंडित जगन्नाथ मिश्र की पत्नी शुचि देवी ने इस बालक को जन्म दिया जिसका नाम लोकधारणा के अनुसार निमाई रखा गया । . बाल्यकाल में निमाई बड़े नटखट और क्रोधी थे । मनचाहा न होने पर ये रो-रोकर घर सिर पर उठा लेते थे । यद्यपि भगवद्भक्ति के संस्कार भी इनके अंदर थे । . इनका रोना सुन कर इनकी माताश्री मधुर स्

नामाचार्य

*नामाचार्य हरिदास ठाकुर की जय*                       💐 श्री हरिदास ठाकुर जी अब बहुत वृद्ध हो गए हैं, तो भी नित्य तीन लाख नाम जाप करते है। एक दिन गोबिंद हरिदास जी को श्री जगन्नाथ जी का महाप्र। साद देने गए, तो देखा कि वे लेटे- लेटे धीरे-धीरे हरिनाम कर रहे है। गोबिंद ने कहा- “हरिदास, उठो, प्रसाद लो।” हरिदास जी उठे, उठकर बोले- "मेरी नाम संख्या अभी तक पूरी नहीं हुई है।” इतना कहकर उन्होंने प्रसाद की उपेक्षा न हो, इसलिए एक चावल प्रसाद का दाना मुख में डाला और लेट गये। हरिदास जी की ऐसी अवस्था सुन दूसरे दिन श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने आकर पूछा- “हरिदास, स्वस्थ तो हो?” हरिदास जी बोले – प्रभु, शरीर तो स्वस्थ है, पर मन स्वस्थ नहीं, क्योकि वृद्ध अवस्था के कारण नाम जप संख्या पूरी नहीं कर पाता हूँ। यह सुनकर महाप्रभु का हृदय द्रवित हो गया, पर मन का भाव छिपाते हुए उन्होंने कहा -"हरिदास तुम तो सिद्ध हो, लोक कल्याण के लिए तुम्हारा अवतार हुआ है। अब वृद्ध हो गए हो तो जप की संख्या कुछ कम कर दो।" अपनी प्रशंसा सुनकर हरिदास जी प्रभु के चरणों में गिर पड़े और बोले- "प्रभु मै अति नीच

अष्ट सखियाँ

🌻🌹🌷🙏🙏🌷🌹🌻 *श्रीराधा विजयते नम्:*🙏🏻🌷🌹 *श्री राधावल्लभ लाल की जय*🙏🏻 प्रिया-प्रियतम की अष्ट सखियों का विवरण इस प्रकार है । .... 1: - ...... *ललिता जी*  ............ ललिता जी गोरे रगं की है ये नेह की रीति - भाति को जानने वाली है । मोरपखं की नीली साडी पहनती है , प्रिया - प्रियतम को पान प्रदान करती रहती है , यह सखी हर कला मे निपुण है , ललिता जी , प्यारी जी की परम प्रिय सखी है , कुंजन मे ललिता जी प्यारी जू को गेंद का खेल खिलाती है तो कभी वन विहार नौका विहार के लिए ले जाती है । ..... 2: - ...... *विशाखा जी* ......... विशाखा सखी तारामडंल की साडी पहनती है । ये सुगधिंत चीजों स"े बने चदंन का लेप करती है , चदंन लगाती है , हर सखी प्रिया-प्रियतम को सुख देने मे लगी रहती है । प्यारी जी के अंगों का स्पर्श पाकर सखियॉ बहुत सुख प्राप्त करती है । यह सखी श्री श्यामा जी के नित्य सानिधय मे रहने वाली स्वामिनी की प्रिय सखी है । विविध रंगों के वस्त्रो का प्रिति-पूर्वक चयन करके प्रिया ज् को धारण कराती है , ये छाया की तरह उनके साथ रहते हुए उनके हित की बाते करती हैं । ..... 3: - .... *चित्