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Showing posts from April, 2018

आमार जीवन सदा पापे रत

आमार जीवन सदा पापे रत नहीं कोई पुण्य लेश अन्यों को उद्वेग दिया अनंत, दिया जीवों को क्लेश। निजसुख हेतु पाप से नहीं डर दयाहीन मैं स्वार्थपर पर सुखे दुखी सदा मिथयाभाषी परदुख सुखकर। अशेष कामना, हृदय में मेरी क्रोधी मैं दम्भपरायण महामत्त सदाविष्ये मोहित हिंसा गर्व विभूषण। आत्म निवेदन , तव चरणे कर, हुआ परम सुखी दुखदूर गया,चिंता न रहा, नित्यानन्द दर्शन पाकर अशोक अभय अमृत आधार तुम्हारे चरण द्वय तुम्हारा संसार करूंगा सेवन। न होऊँगा फल भागी। तव सुख हेतु करूंगा यत्न होकर श्रीचरण अनुरागी।। तुम्हारी सेवा से दुख यदि हो वह तो परम सुख। सेवा सुख दुख परम सम्पद नाशे अविद्या दुख। पूर्व इतिहास भूला हूँ सकल सेवा सुख पाकर मने। हम हैं तुम्हारे तुम हो हमारे क्या कार्य पर धने। भक्तिविनोद कहे प्रभु नित्यानन्द ततसेवा अति सुखकर

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🌸जय श्री राधे🌸     💐जय निताई 💐                         🌙   श्री निताई चाँद🌙 क्रम: 2⃣1⃣                  दीक्षा ग्रहण लीला 🌿ऐसा विलक्षण नृत्य, इतना उद्दंड किंतु मनोहर नृत्य की श्री गौरांग के अपने चरण उनके सिर को छू जाते और श्री निताई चांद की पद पटकन से तो पृथ्वी कांप उठी भूकंप है क्या ? समस्त वैष्णव चिंतित हो उठे । चिंता की बात कुछ नहीं थी, आज श्री विश्वंभर अपने भाई श्री निताई चांद के निज स्वरूप को भक्तों के सामने प्रकाशित करना चाहते थे।                     🌹 हुआ यह कि निताई चांद उछलकर भागवत सिंहासन पर जा बैठे। जाग उठा बलराम- भाव। मद लाओ ! मद लाओ! गर्जना करने लगे ।श्री गौरांग ने कहा- भैया हल मूसल मुझे दे दो। श्री निताई चांद ने झट हाथ बढ़ाएं और श्री विश्वंभर के हाथ में पकड़ा दिए हल मूसल। किसी को कुछ ना दिखाई दिया।क्या दिया श्री निताई चांद ने और क्या लिया श्री निमाई चांद ने। अवश्य देखा हल मूसल को उन्होंने जिन्हें प्रभु ने देखने की कृपा शक्ति प्रदान की ।        🌿अब तो दोनों हाथ उठाकर लाओ वारुणी! देओ वारुणी! बार बार उच्च स्वर में पुकारे जा रहे थे श्री नित्यानंद उन्मत्त की त

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🌸जय श्री राधे🌸     💐जय निताई 💐                         🌙   श्री निताई चाँद🌙 क्रम: 2⃣0⃣                                      🌿व्यास पूजा🌿 🌺श्री निताई चांद श्री गौरांग के साथ अनेक आनंद कुतूहल करने लगे। श्री कृष्ण कथारस में समस्त नदियावासी भक्त विह्लल हो उठे जब से श्रीनिताई चांद नदिया में पधारे। आज चतुर्दशी का दिन था श्रीविशम्भर यकायक बोले -"श्रीपाद नित्यानंद। कल तो व्यास -पूर्णिमा है, आपकी व्यास पूजा कहां होगी ? श्री निताई चांद जान गए प्रभु का इशारा। झट श्रीवास पंडित का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए बोले -"इस ब्राह्मण के घर।             🌿श्री विशम्भर बोले -"श्रीवास! तुम्हारे ऊपर बड़ा बोझ पड़ेगा।" "न न प्रभो!  कुछ भी बोझ नहीं, आपकी कृपा से सब पूजा- सामग्री घर में ही मौजूद है। हां, पूजा- पद्धति पुस्तक मेरे यहां नहीं है सो मांग लाऊंगा।" श्रीवास ने कहा। श्री निताई निमाई प्रभु श्रीवास पंडित के घर की ओर चल ही दिए उसी समय अधिवास कीर्तन के लिए। अनेक भक्तगण साथ-साथ पीछे चल रहे थे। ऐसा लगता था श्री कृष्ण बलराम ही गोप गण के साथ सुशोभित हो रहे हैं। श्रीवास

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🌸जय श्री राधे🌸     💐जय निताई 💐                         🌙   श्री निताई चाँद🌙 क्रम: 1⃣9⃣ 💐दीक्षा ग्रहण लीला💐            🌿लौकिक लीला में श्री निताई चांद प्रभु के दीक्षा गुरुदेव के विषय में मतभेद का उल्लेख मिलता है। कोई इन्हें माधवेंद्र पुरी जी का शिष्य कहते हैं ,प्रेम विलास में इन्हें श्री ईश्वर पुरी जी का शिष्य कहा गया है । इस विषय का स्पष्टीकरण चरितांश खंड में नहीं हो सका , यहां किया जाता है ।          🌹श्री माधवेंद्र पुरी जी ईश्वर पुरी के गुरु थे एवं श्रीमन महाप्रभु कृष्ण चैतन्य देव के तथा श्री अद्वैत आचार्य प्रभु के परम गुरु थे। श्रीनिताई चांद के साथ श्री माधवेंद्र पुरी जी का मिलन हुआ था माहिष्मती पुरी में (पृष्ठ 21 दृष्टव्य )वहां परस्पर दोनों कृष्ण कथा रंग में प्रेमोन्मत्त हो उठे। श्री पुरी जी श्री निताई चांद के कृष्ण प्रेम को देखकर उतने ही मुग्ध हो उठे जितने श्री निताई चांद ।           🌿श्री माधवेंद्र पूरी इनको अपना बंधु गुरु भाई समझ गए और अनेक दिन दोनों वहां एक साथ रहे । वयोवृद्ध होने के कारण श्री निताई चाँद उनमें गुरु बुद्धि रखते थे, भक्ति रत्नाकर (5) में ऐसा

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🌸जय श्री राधे🌸     💐जय निताई 💐                         🌙   श्री निताई चाँद🌙 क्रम: 1⃣8⃣ 🌿कार्य - कारण के अभेद विवेचन से शुद्ध भक्ति योग से प्राप्त होने वाली प्रेमा भक्ति को ही भक्ति योग कहा गया है । तात्पर्य यह है कि प्रभु ने वेदों के सार प्रेम भक्ति के ही श्री निताई चांद में दर्शन किए , जिससे उन्होंने अपने को धन्य माना है ।            🌹 इतना ही नहीं श्रीमन महाप्रभु मैं स्पष्ट यह भी कहा है-- बुझिलाम ईश्वरेर तुमि पूर्ण शक्ति। तोमा भजिले से जीव पाय कृष्ण भक्ति। तुमि कर चतुर्दश भुवन पवित्र। अचिन्त्य अगम्य तोमार चरित्र।      🌿   हे निताई चांद !अचिन्त्य  अगम्य है आपके 14 भुवन पावन चरित्र। ईश्वर की आप पूर्ण शक्ति हो , जो आपका भजन करता है, वही कृष्ण भक्ति प्राप्त करता है। हे निताई चांद ! आप मूर्तिमान कृष्ण प्रेम भक्ति धन हो । निज स्तुति को और ना सुन सके श्री निताई चांद । बोल उठे- गौरांग! अब क्यों मुझसे सब राज खुलवाते हो ? मैंने सब तीर्थों का भ्रमण किया , श्री कृष्ण की लीला भूमि में गया , केवल स्थल ही स्थल देखें श्री कृष्ण कहीं नहीं। सबके सब सिंहासन खाली थे ।     🌹     मैं

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🌸जय श्री राधे🌸     💐जय निताई 💐                         🌙   श्री निताई चाँद🌙 क्रम: 1⃣7⃣                 🌿  श्री कृष्ण- ध्यानात्मक इस श्लोक को सुनते ही श्रीनिताइ चांद तो मूर्छित हो पृथ्वी पर गिर पड़े। श्री गौरांग श्रीवास को पुन:-पुन: इसी श्लोक को गान करने की आज्ञा दे रहे थे। कुछ देर बाद चेतना आई प्रभु श्रीनिताई चांद को, परंतु रोने लगे जोर से। श्लोक को बार-बार सुन कर वे उन्मत हो उठे। सिंहनाद की तरह गर्जना करते हुए श्रीनिताई चांद उछलते हैं। बार-बार पृथ्वी पर जोर से गिरते हैं। समस्त भक्त वृंद रक्ष कृष्ण -हे कृष्ण रक्षा करो'- पुकार रहे हैं -अश्रुधारा एवं रज से सारा शरीर श्री निताई चांद का लथपथ हो रहा है। श्री विशंभर गौरांग का मुखचंद्र देख-देखकर लंबी- लंबी श्वास छोड़ते हैं। रोते हैं कभी जोर से अट्हास करते हैं, नाच उठते हैं, पछाड़ खा जाते हैं, दोनों कामों को सिकोड़कर आकाश में बहुत ऊंचे कूदते है।              🌿 अद्भुत थे यह सब सात्विक विकार श्री निताई चांद के श्री गौरांग ने बढ़कर आलिंगन कर लिया श्री निताई चांद को।  श्रीअनंतदेव रुप से जो समस्त पृथ्वी को अपने शिर पर धारण करते हैं

महाप्रभु जी का जाप

श्री चैतन्य महाप्रभु का जाप एवं कीर्तन के लिये आदेश 🍁🌹🍂🍁🌹🍂🌹🍁🌹🍂 श्री चैतन्य महाप्रभु का जाप एवं कीर्तन के लिये आदेश🙏🏼 🔸🔹🔺🔸🔹🔻🔸🔹🔺🔸 श्री चैतन्य भागवत (मध्यलीला 23.73-84) 🌸⚜प्रभु बोले 'कृष्ण भक्ति हउक सभार। कृष्ण गुण नाम वई ना बलिह आर।।(73) ⏩प्रभु कहते है- "तुम सबको कृष्ण भक्ति मिले। तुम सब श्री कृष्ण के गुण और नाम के अतिरिक्त और कुछ न बोला करो" 🌺⚜आपने सभारे प्रभु करे उपदेश। 'कृष्ण नाम महामन्त्र शुनह विशेष।।(74) ⏩प्रभु आप ही सबको उपदेश करते है कि " ध्यान पूर्वक कृष्ण-नाम-महा मन्त्र सुनो, 🌸⚜'हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे'(75) ⏩"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। 🌺⚜प्रभु बोले "कोहिलांग एई महामन्त्र। इहा गिया जप सभे करिया निर्वन्ध।।(73) ⏩प्रभु बोले "यह मंत्र मैंने कहा है इसे सब निश्चित संख्या में नियमपूर्वक जपो" 🌸⚜इहा हैते सर्वसिद्धि हइव सभार। सर्वक्षण बोल,इथे विधि नाही आर।।(77) ⏩इससे ही सबको सर्व सिद्धि प्राप्त हो जाए

परिक्रमा कीर्तन

परिक्रमा कीर्त्तन श्री नवद्वीप धाम परिक्रमा श्रील भक्ति केवल औडुलोमि महाराज द्वारा विरचित जय जय महाप्रभु श्रीगौरांगचन्द्र | पतितजनेरबन्धु जय नित्यानंद ||1|| अद्वैताचार्य जय गदाधर श्रीवास | गौर भक्तजनगणेर कृपा मोर आश ||2|| नवधा भक्तिर पीठ नवद्वीप भूमि | अप्राकृत धाम, एर धूलि चिन्तामणि ||3|| धामबासी करे मोरे आशीष वर्षण | गौर जन कृपाय मिले श्रीधाम दर्शन||4|| जय जय मायापुर, जय अन्तर्द्वीप | गौर जन्मभिटा जय, जय योगपीठ ||5|| विष्णुप्रिया शचीमाता, जगन्नाथ जय | लक्ष्मी देवी जय, जय ईशान महाशय ||6|| भकतवत्सल प्रभु श्री नृसिंग देव | गौरकुण्ड, निम्बवृक्ष, जय महादेव ||7|| शचीरअंगने मुई देइ गड़ागड़ि | बैकुण्ठ श्रेष्ठ, एई साक्षात मधुपुरी ||8|| श्री वास अंगन जय संकीर्तन रास |  हरिध्वनि हुहुंकार, नर्तन विलास ||9|| खोल करताल जोगे रात्रि जागरण | सात प्रहरिया भाव जाहा प्रदर्शन ||10|| श्रीपति,श्री निधि जय , जय नारायणी | श्री वास पंडित जय, जय श्री मालिनी ||11|| सुखी दुखी जय जय नित्त्यानन्द राय | अपूर्व व्यासेर पूजा प्रकाश यथाय ||12|| अद्वैत भवन जय मंगल ठाकुर | तुलसी आर गंगाजले पूजन