झंकार यशजु
मेरी साँसों में महकती उनकी साँसों की वो घुलती मिठास का महकता एहसास आज भी याद है। उनकी श्री अंग की कांति से खिलती किरणों की रोशनी से बहती हवाओ में बिखरी उनकी शीतल मदहोश करती उनकी महक आज भी याद है। काले घटा से भी कारी उनकी भीगी हुए केश रोम कूपों से रिश्ता वो स्वेद जैसे सावन में झूमती बदरा का झूम के बारिश की बूंदों के साथ इठलियाँ करना। मेरी सांसो की झंकार हो तुम मेरा सोलह श्रृंगार हो तुम मेरी आँखों का इन्तेजार हो तुम मेरा ईमान मेरी शान मेरा मान हो तुम थोड़े बेईमान हो तुम, थोड़े नादान हो तुम थोड़े शैतान हो तुम। हाँ मगर ये सच है मेरे भगवान हो तुम।। मेरे बस मेरे गौर