राधेरानी के मुख्य गुण

श्री राधा 🌺🙌🏻🌺

💟💟श्रीमती राधारानी जी के 25 मुख्य गुण💟💟

💟अनंत गुण श्री राधिकार, पच्चीस प्रधान
सेइ गुणेर वश हय कृष्ण भगवान💟
                      (चै*च* मध्य 23.86)
💟श्रीमती राधारानी जी के अनंत दिव्या गुण है जिनमे से 25 गुण मुख्य है। श्रीकृष्ण श्रीमती राधारानी जी के इन दिव्या गुणों द्वारा नियंत्रित होते है।
1⃣मधुरा💟(मीठा):: वे अत्यंत मधुर स्वभाव वाली हैं।
2⃣नव-वया💟(यौवन सम्पन्ना):: वे सर्वदा नव- यौवनपूर्ण रहती हैं।
3⃣चल-अपांग💟(चंचल नयन विशिष्टा)::उनकी आँखें बहुत चंचल हैं।
4⃣उज्जवल-सिमता💟(उज्जवल सिमत हास्य शोभिता):: उनकी मुस्कान उल्लासित एवम् प्रसन्नचित्त करने वाली हैं।
5⃣चारु-सौभाग्य-रेखाढया💟(शरीर पर सूंदर एवम् मंगलकारी रेखाएं होना):: उनके शरीर पर यानि हस्त एवम् चरण में सुन्दर एवम् शुभ रेखाएं अंकित हैं।
6⃣गन्धोंन्मादित-माधव💟अपूर्व अंग-सौरभ से माधव को उन्मत करने वाली मोहक द्वारा कृष्ण को प्रसन्न करती हैं।
7⃣संगीत- प्रसाराभिज्ञा💟(संगीत के प्रसार में सुविज्ञा) :: वे संगीत कला में अत्यंत निपुणा हैं।
8⃣रम्यवाक्💟(मनोरम वाक् शैली सम्पन्ना) :: उनकी वाणी बहुत मनोहरी हैं।
9⃣नम्र-पंडिता💟(परिहास में सुनिपुणता) ::वे हँसी- मजाक, विनोदपूर्ण बातें करने में निपुणा हैं।
1⃣0⃣विनीता💟 (विनीत स्वभाव वाली) ::वे बहुत विनीत ( नम्र) स्वभाव संपन्ना हैं।
1⃣1⃣करुणा-पूर्ण💟 (दया से पूर्ण)::  वे सर्वदा सब पर कृपा करती हैं।
1⃣2⃣विद् ग्धा💟(चतुराईपूर्ण):: वे बहुत चतुरा हैं।
1⃣3⃣पाट्यवानिवता💟( अपना कर्त्तव्य निभाने में निपुणा):: वे अपना कर्तव्य पूरा करने में निपुणा हैं।
1⃣4⃣लज्जा-शील💟(संकोची):: वे लज्जा(शर्म) के गुणों से पूर्ण हैं।
1⃣5⃣सुमर्यादा💟( आदरणीया) ::वे सदा मर्यादा में रहती हैं।
1⃣6⃣धैर्य💟(शांत स्वभावा):: वे सर्वदा धैर्यपूर्ण रहती हैं।
1⃣7⃣गम्भीरशालिनी💟(गंभीर) ::वे सदा गंभीर रहती हैं।
1⃣8⃣सुविलासा💟(विलास निपुणा):: वे जीवन का आनन्द उठाने में निपुणा हैं।
1⃣9⃣महाभावा💟(महाभाव प्राप्ता):: वे प्रेमानन्द- भाव के सर्वोच्च स्तर पर अधिष्ठता हैं।
2⃣0⃣परमोत्कर्षिनी गोकुलप्रेम💟(प्रेम के पराकाष्ठा में सिथता)::वे दिव्य प्रेम के सर्वोच्च स्तर पे अधिष्ठता हैं।
2⃣1⃣जगत्श्रेणीयशा💟(प्रसिद्धि) :: जिनका यश सम्पूर्ण जगत् को भुला देता है वे विनम्र एवम् अत्यंत आज्ञाकारी भक्तों में सबसे अधिक यशसिवनि हैं।
2⃣2⃣गुरुस्नेहा💟(सबसे अधिक प्यार) :: वे गुरुजनों के प्रति बहुत स्नेह(प्रेम) करती हैं।
2⃣3⃣सखी-प्रणियतावशा💟(अपनी सहचरी गोपियों द्वारा नियंत्रित)::  वे अपनी सखियों के प्रेम के प्रति अत्यंत अधीन हैं।
2⃣4⃣कृष्ण-प्रियावली मुख्या💟(जो कृष्ण जी को प्रिय हैं):: वे प्रधान कृष्ण प्रिया हैं। वे कृष्ण की सर्वाधिका प्रिया हैं।
2⃣5⃣आश्रव-केशवा💟(कृष्ण जिनके वशीभूत हैं)::  वे सर्वदा कृष्ण को अपने वश में रखने में समर्थ हैं।
 
💟👏👏🌿श्री लाडलीलाल विजयते नमः🌿👏👏💟

श्री राधा 👣🙇🏼🌹

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