दया कर दयानिधि

यथा राग
"दया कर दयानिधि नवद्वीपचन्द्र।
ना जानि भजन आमि आरमन्त्रतन्त्र।।
जानि सुधु प्राणबन्धु तुया मुखरचन्द ।
प्रेमे माखा ढल ढल आनन्द-कन्द ।।
आर जानि तुमि सुधु करुणार-सिन्धु।
पतित पावन प्रभु तुमि दीनबन्धु । ।
बुझि सुधु तुया नाम सार सर्व धर्म ।
तुया नाम गान सर्व भक्तिशास्त्र मर्म ।।
आनन्द-नीरे भासि, हेरि पदद्वन्द्व।
वदन हेरिले हय नाश भव बन्ध।।
तुया नाम संकी्त्तन, तुया भक्तसंग।
लीलाकथा आलापन, भजनेर अंग ।।
नाहि बुझि कुल मान, तुया नाम सर्व ।
गौरदासी बले यदि, इह बड़ गर्व ।।
देवी विष्णुप्रिया करेन निवेदन आत्म ।
दासी हरिदासी गाय नामेरइ माहात्म्य।।"
(गौर-गीतिका)

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