दयाल निताई चैतन्य

*दयाल निताई चैतन्य*

*दयाल निताई बोले नाचे रे आमार मन*
*नाचे रे आमार मन, नाचे रे आमार मन*

परमदयालु श्रीनिताईचाँद तथा श्रीकृष्ण चैतन्य के नाम गाते गाते मेरे मन तू विभोर होकर नाच ले।

*विचार तो नाहिं है, गौर नामे अपराधे विचार तो नाहीं है*
*कृष्ण नामे रुचि होवे घुचिबे बन्धन*
*दयाल निताई चैतन्य बोले नाचे रे आमार मन*

ऐसे दयालु प्रभु के नाम लेने के लिए कोई समय, स्थान, अपराध किसी भी प्रकार का कोई विचार या बन्धन नहीं है। कृष्ण नाम मे रुचि होते ही सब बन्धन खुल जाते हैं। मेरे मन तू निताई चैतन्य के नामों का गायन कर कर नाच ले।

*एमोन दयाल तो नाहीं है, मार खाये प्रेम देय*
*औरे अपराधे दुरे जाबे, पावे प्रेमधन*
*दयाल निताई चैतन्य बोले नाचे रे आमार मन*

ऐसे दयालु प्रभु त्रिभुवन में और कोई नहीं हैं, जो स्वयम मार खाकर भी दूसरों को प्रेम प्रदान करते हैं।जिनके नाम जा गायन करने से सब अपराध दूर हो जाते हैं औऱ प्रेम धन की प्राप्ति हो जाती है। हे मन तू नामो का गायन करते करते नाच ले।

*अनुराग तो हबे है , कृष्ण नाम अनुराग हबे*
*अनायासे सफल होवे जीवेर जीवन*
*दयाल निताई चैतन्य बोले नाचे रे आमार मन*

इनके नामों जे गायन से श्रीकृष्ण के प्रति अनुराग होता है तथा जीव का जीवन बिना किसी साधन के अनायास ही सफल हो जाता है। मेरे मन तू इनके नामों का गायन कर कर नाच ले।

*कृष्ण रति बिना जीवन तो मिथ्य है*
*वृन्दावने राधा श्यामे पावै दर्शन*
*दयाल निताई चैतन्य बोले नाचे रे आमार मन*

श्रीकृष्ण के प्रेम बिना यह जीवन व्यर्थ है। इनकी कृपा से श्रीवृन्दावन कुंज निकुंज में विराजित श्रीराधाश्याम के दर्शन सहज जी हो जाते हैं।

 ऐसे परम् दयालु प्रभु के नामों का गायन कर कर मेरे मन तू नाच ले

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