प्रियतम की प्रतीक्षा। बाबा जु

👏🏼👏🏼👏🏼इस संसार में रचे-पचे किसी भी प्राणी को, कभी भी सुख-शांति मिल ही नही सकती। वह अशांति एवम् अभाव में सदैव जलता ही रहेगा । जब तक प्रिया-प्रियतम के युगल चरणों में चित्त नही रमेगा।

अतः ऐसा मन बनाइये की प्रिया-प्रियतम से मिलन की नित्य नयी-नयी उमंगो के मनोरथो में ही आठो पहर उलझा रहे।

कभी उनमे लगी अलक्ता और मेहँदी की चित्रकारी को एकटक निहारे, कभी चरण-चिन्हों के भावो की चित्रकारी को एकटक निरखे, कभी चरण-चिन्हों के भावों में डूब जाय।

कभी संयोग जन्य आनंद में नृत्य करे। कभी वंशी ध्वनि के श्रवण में सब कुछ विस्मृत कर दे। कभी वनमाला गूंथने में निरत रहे, कभी उनको अति सुवासित बीड़ा समर्पित करे। कभी विरह-वेदना में अपने सब दुष्कृत्यों को जला दे।
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परंतु सावधानी रहे, यह सेवा, आनंद-नृत्य सभी हो अति एकांत में, मात्र श्री कृष्ण के सम्मुख ही। इस मायावी संसार को हमारे एवम् हमारे प्रियतम के मध्य किसी सम्बन्ध की गंध ही नही लगने पावे।  हमारे नेत्रो में निरन्तर प्रियतम के पथ-जोहने की आकुलता बनी रहे, नेत्रो से प्रेमाश्रु झरते रहें, परंतु संसार को यह सब अज्ञात ही रहे।

भीतर-ही-भीतर हमारे चित्त में नेह-सुधा का सागर सतत हिलोरे लेता रहे।

श्री राधा बाबा जू👏🏼👏🏼👏🏼

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