तुलसी माला

तुलसीमाला पहनते हैं, तो जरूर पढ़ें ये नियम...!

तुलसी की माला साधारण काष्ठ नहीं है.
तुलसी की माला वैष्णव चिह्न से भी आगे की चीज़ है। हमारा यह शरीर भगवान का मंदिर है

जिसमें युगल सरकार राधाकृष्ण का वास है, और हमारी आत्मा ही प्रभु का शरीर है। जब हम तुलसी की माला गले में पहनते हैं तो हम कहते हैं,

"हे मेरे प्यारे भगवान हम जैसे भी हैं तुम्हारे ही हैं।"

हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र माना जाता है
अक्सर घरों में परिवार की सुख-समृद्धि के लिए इसकी पूजा भी की जाती है।

श्रीकृष्ण भगवान को तुलसी बहुत प्रिय है। यही कारण है कि उनके प्रसाद में तुलसी के पत्ते मिलाए जाते हैं

उसी तरह तुलसी की माला को भी धारण करना अच्छा माना जाता है। लेकिन इसे धारण करने के लिए कुछ नियम हैं।

ज्योतिष के मुताबिक, माना जाता है कि तुलसी की माला पहनने से बुध और गुरु ग्रह बलवान होते हैं।
इसे पहनने से बुरी नजर के प्रभाव से बचा जा सकता है।

इस माला को धारण करने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी प्रकार का दु:ख और भय नहीं सताता।

* तुलसीमाला पहनने के कुछ नियम और फायदे*

इसे पहनने से पहले गंगाजल डालकर फिर से शुद्ध कर लेना चाहिए और धूप दिखानी चाहिए।
इस माला को धारण करने से पहले भगवान श्रीहरि की स्तुति करनी चाहिए।

तुलसी की माला को धारण करने वाले को अपनी वृत्ती सात्विक बनाकर
परनारी और परद्रव्य से परहेज* करना होगा.

जो भी व्यक्ति तुलसी की माला को धारण करता है उसे मांस व मदिरा (अपक्ष भक्षण) से भी दूर रहना चाहिए।

तुलसी की माला पहनने से आवाज सुरीली होती है, गले के रोग नहीं होते, है।

हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है

तुलसी हमारे प्रभु विष्णु के चरण कमलों की शोभा हैं, प्रिया हैं तुलसी जी।तुलसी की माला पहनकर घर पर साधारण स्नान करने वालों को तमाम तीर्थों में स्नान करने का पुण्य प्राप्त होता है।

यदि मृत्यु के समय किसी के गले में तुलसी की माला का एक मनका भी मौजूद रहता है तो सुनिश्चित जानो वह नरक (निम्नतर योनियों ) में नहीं जाएगा,
ऐसा हमारे शास्त्र कहते हैं।

एक बार तुलसीमाला पहुनी तो जीवनभर उसको पवीत्रताको जी जानसे संभालना होगा.
उसका अनादर न हो ईस तर हमेशा हमेशा खबरदार रहना होगा.

* जय श्रीराधे‼

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