34

34 श्री नरोत्तम प्रार्थना - ( 34

 प्रार्थना :-
-----------

 प्राणेश्वरी ! कबे मोर हबे कृपादिठी ।
अरूण कमल दले, शेज बिछाइव,
बसावव किशोर किशोरी ।
अलका आवृतमुख , पंकज मनोहर ,
मरकत श्याम , हेम गोरी ॥

आज्ञाय आनिया कबे, विविध फुलवर
शुनव वचन दुहुँ मिठि ।
मृगमद तिलक , सिन्दुर बनायब,
लेपव चन्दन गन्धे ॥

गाँथि मालती फुल, हार पहिरा-ओव ,
धाओयाय मधुकर वृन्दे ।
ललिता कबे मोर , बीजन देओयव,
बीजव मारूत मन्दे ॥

श्रमजल सकल , मिटिब दुहुँ कलेवर ,
हेरव परम आनन्दे ।
नरोत्तम दास, आश पद पंकज
सेवन माधुरी -पाने ।
होओयव हेन दिन , न देखिये कोन चिन्ह ,
दुहुँजन हेरव नयाने ॥

♻ शब्दकोष :-
-------------

कृपादिठी - कृपादृष्टि
शेज- सेज
हेम - स्वर्ण कान्ति
मृगमद - कस्तूरी
धाओयाय -हटाऊँगी
बीजन - पँखा
मिटिब -पौंछना
हेरव - दर्शन करना


नरोत्तम ठाकुर चम्पक मञ्जरी स्वरूप में ललिता आदि प्रधाना सखी के अनुगत्य में निकुञ्ज में प्रियालाल जी के श्रृगांर की विभिन्न सेवा की प्रार्थना कर रहे है ।

            इस प्रार्थना में निकुञ्ज में हास-परिहास करती श्री राधा-माधव की सुन्दर झाँकी है - जिसका दर्शन किसी भी साधक का स्वप्न हो सकता है । इस प्रार्थना में निकुञ्ज के फूलों के रंग और सुगन्ध भी है , श्रृगांर की मधुरता और संगीत की ध्वनि भी है । और शब्दों के चित्र सहसा ही नेत्रों के समक्ष  सजीव हो उठते है ।

 अनुवाद :-
------------

♻  हे प्राणेश्वरी ! मुझ पर आप ऐसी कृपादृष्टि कब करोगी ? लाल कमल के सुकोमल पत्तों की मैं सुन्दर सेज बिछाकर उस पर श्री किशोर किशोरी को मैं विराजमान कराऊँ ! मरकत-मणि शोभा श्री श्यामसुन्दर तथा स्वर्ण कान्ति श्री किशोरीजू के अलकावलि से ढके मनोहर श्री मुखकमल का दर्शन करूँगी !!!

♻ आपकी आज्ञा पाकर कब मैं विविध प्रकार के फूल बीन लाऊँगी तथा आप युगल की आपस में की गई मीठी -मीठी वार्ता को सुनुँगी !! और फिर आपकी रूचि से कस्तूरी का तिलक , सिन्दूर से माँग भरकर कब आपके श्री अंगों पर चन्दन का लेप करूँगी ??

♻मालती की माला अति यत्न से गूँथ कर मैं आपके श्री कण्ठ में धारण कराऊँगी !! और उस माला पर मधुप जब आकर  गुञ्जार करेंगे तो मैं प्रियाजी को भयभीत जान उन भँवरों को हटाऊँगी !!! और ललिता सखी कब मुझे पँखा देंगी और मैं आपको मन्द-मन्द पव�न करूँगी ??

♻ आप दोनों के श्री अंग पर आये स्वेद -जल को मैं अतिशय आनन्द से पौंछूगी !!!

        नरोत्तमदास की आपके श्री चरणारविंद में मेरी यही आशा है कि आपकी सेवा माधुरी का पान करूँ !! किन्तु ऐसा कोई दिन मुझे प्राप्त होगा .... इसका मुझे कोई चिन्ह भी नहीं दिख रहा..... क्या मैं कभी अपने नेत्रों से आपके कभी दर्शन भी कर पाऊँगा ???

♻♻♻♻

॥श्रीराधारमणाय समर्पणं ॥

Comments

Popular posts from this blog

शुद्ध भक्त चरण रेणु

श्री शिक्षा अष्टकम

श्री राधा 1008 नाम माला