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6 श्री नरोत्तम प्रार्थना-( 6 )
प्रार्थना :-
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हरि हरि कवे मोर हइवे सुदिन ।
भजिब से राधाकृष्ण हञा प्रेमाधीन ॥
सुयन्त्रे मिशाये गाब सुमधुर तान ।
आनन्दे करिबे दोंहाई रूप गुण गान ॥
राधिकागोविंद बलि कांदिब उच्चे: स्वरे।
भिजिवे सकल अंग नयनेर नीरे ॥
एइबार करूणा कर ललिता विशाखा ।
सख्य भावे मोर प्रभु सुबलादि सखा ।
सबे मिलि कर दया पुरूक मोर आश ।
प्रार्थना करये सदा नरोत्तम दास ॥
♻ शब्दकोष :-
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कवे - ( ऐसा ) कब होगा
भजिब - भजन करूँगा
सुयन्त्र - सुन्दर वाद्य
मिशाये -मिला कर
कांदिब -रोना
भिजिवे - भीग जायेगा
एइबार -इसी जन्म में
पुरूक -पूर्ण करो
अनुवाद :-
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♻ नरोत्तम श्री हरि की करूणा की गुहार लगाते हुए कह रहे है ," हे हरि ! वह शुभ दिन मेरे लिए कब आयेगा , जब मैं प्रेमाविष्ट होकर श्री राधाकृष्ण का भजन करूँगा ?"
♻ प्रियालाल की जी सेवा में बजते सुन्दर वाद्य के साथ स्वर मिलाकर मधुर आलाप करूँगा और आनन्द पूर्वक श्री युगल लाल के रूप-गुण- माधुरी का गान करूँगा !! हे हरि ऐसा शुभ दिन मेरे लिये कब आयेगा ??
♻ हे श्री राधिके! हे श्री गोविन्द ! आपके नाम का उच्चारण कर उच्च स्वर में मैं कब भावुक हो क्रन्दन करूँगा ? और क्रन्दन करतेकरते अश्रुओं से कब मैं पूर्णतः भीज जाऊँगा ?? हे हरि ! आपके स्नेह में मेरी ऐसी स्थिति हो जाये क्या ऐसा शुभ दिन आयेगा ???
♻ ♻ हे श्री ललिते ! हे श्री विशाखे ! अब तो आप ही मुझ पर कृपा कीजिए !! हे मेरे प्रभु के सुबलादि नर्म सखा गण ! आप सब मिलकर मुझ पर दया कीजिए , जिससे मेरी मनोकामना पूर्ण हो - मैं ,नरोत्तम आप सबसे बस यही प्रार्थना करता हूँ....... !!!
♻♻♻♻
॥ श्री राधारमणाय समर्पणं ॥।
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