नरोत्तम प्रार्थना
राधाकुण्डतट -कुँजकुटिर गोवर्धनपर्वत,यामुनातीर।।१।।
कुसुमसरोवर, मानसगंगा । कालिन्दन्दिनी विपुलतरंगा।।२ ।।
वंशीवट-गोकुल-धीरसमीर । वृन्दावन -तरलतिका-कनीर।।३।।
मयूर भ्रमर, मुरली विलास। खगमृगकुल,मलय-वातास ।।४।।
वेणु श्रृंग,पदचिन्ह,मेघमाला । वसन्त,शशांक, शंखकरताला।५।।
युगलविलासे अनुकूल जानि ।
लीलाविलास उद् दिपक मानि।।६।।
ए सब छोडत कँहि नहि जाऊँ। ए सब छोडत पराण हारांउ ।।७।।
भक्तिविनोद कहे,शुनु कान । तुयाउद दिपक हमारा पराण।।८।।
*( भक्तिविनोद ठाकुर )*
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