गौर आरती
किबा जय जय गौरा चन्दे आरती कौ शोभा
जाह्नवी तट बने जग मन लोभा
किबा दखिने निताई चांद वामे गदाधर
निकटे अद्वैत श्रीनिवास छत्रधर
किबा दोसी आछे गौरा चांद रत्न सिंघासने
आरती करेन ब्रह्मा आदि देवगने
किबा नदा हरि आदि गौरी चामर डुलाये
संजय मुकुंद बासु घोष अधिकाये
किबा शंखा बाजे घण्टा बाजे , बाजे करताल
मधुर मृदंग बाजे परम् रसाल
किबा बहु कोटि चन्द्र जीनी बदन उज्ज्वल
गल देशे बनमाला करे झलमल
किबा शिवा शुक नारद हेमे गदागद
भक्ति विनोद देखे गौरा रसमद
किबा जय जय गौरा चन्दे आरती कौ शोभा
जाह्नवी तट बने जग मन लोभा
Comments
Post a Comment