तुलसी शालिग्राम विवाह

तुलसी शालीग्राम विवाह

तुलसी शालीग्राम संग ब्याह की शोभा वरनी न जाई ।।
शालीग्राम दुल्हा बन गए,कर श्रृँगार द्वार पे आये
बज रही शहनाई की शोभा वरनी न जाई ।।

ब्रह्मा भी आये संग विष्णु भी आये वीणा बजाते नारद भी आये
शंकर ने डमरू बजाई की शोभा वरनी न जाई ।।

श्रीराम भी आये संग लक्ष्मण आये चरणों के सेवक हनुमंत भी आये
संग में सीता माई की शोभा वरनी न जाई ।।

श्रीराधा भी आई संग रूक्मण भी आई ललिता विशाखा संग गोपियाँ आई
श्रीकृष्ण ने बंशी बजाई की शोभा वरनी न जाई ।।

सखियाँ तुलसी जी को दियो है सजाई, लहंगा पहनाई चुनरी ओढा़ई
तुलसी को बिन्दी लगाई चूड़ी पहनाई बाजुबन्द पहनाई
कांकण डोरा दिया है पहनाई की शोभा वरनी न जाई ।।

करि श्रृँगार सखी ले आई चन्दन चौकी बैठाई
देव सुमन बरसाई की शोभा वरनी न जाई ।।

तुलसी शालीग्राम की भंवरी परी है जोड़ो गांठ तब आन्नद भयो है
सखियाँ म़ंगल गाई की शोभा वरनी न जाई ।।

सब सखियन से मिलकर शालीग्राम की डोली में बैठी
तुलसी मन हरषाई की शोभा वरनी न जाई ।

🙌🏻 श्रीराधारमण लाल की जय हो 🙌🏻

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