नित्यानंदा जी की माता द्वारा रचित
राम कृष्ण विष्णु जपौ मोह नींद त्यागौ रे।
जक्त मांहि आय गुनौ यही साज साजौ रे।
सतगुरु से नाम सुनौ तन मन को भांजौ रे।
ध्यान लय प्रकाश होय रूप लखौ गाजौ रे।
प्रेम जानि देव मुनी आवैं संग राजौ रे।
अंत समय छोड़ि देह अचल पुर को भागौ रे।
नित्यानंद जी की माता पद्मावती जी द्वारा रचित
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