पतितपावन हेतु तव अवतार
पतित पावन हेतु प्रभु तब अवतार।
मो सम पतित प्रभु न पाइबे पार।
श्री कृष्णा चैतन्य प्रभु दया करो मोरे।
हा हा प्रभु नित्यानंद प्रेमानन्द सुखी।
कृपा बलो काना कोरो अमी बोडो दुखी।
दया कोरो सीतापति अद्वैत गोसाईं
तब कृपा बोले पहाई चैतन्य निताई।।
हा हा स्वरूप सनातन रूप रघुनाथ, भट्ट जुग श्री जीव प्रभु लोकनाथ।।
दया कोरो श्री आचार्य प्रभु श्री निवास, रामचन्द्र संग मांगे नरोत्तम दास।
श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु दाया कोरो मोरे, तुम बिन के दयालु जगत सन्सारे।।।😭😭😭
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