हरि हरि कबे मोर
हरि हरि कबे मोर हइबे सुदीन।
भजिब श्री राधा कृष्ण हइया प्रेमाधीन।।
सुयन्त्रे मिशाइवा गावो सुमधुर तान।
आनन्दे करिवो दुंहार रूप गुण गान।।
राधिका गोविंद बलि कांदिबो उच्चःस्वरे।
भिजिबे सकल अंग नयनेर नीरे।।
एइ बार करुना करो श्री रूप सनातन।
रघुनाथ दास मोर श्री जीव जीवन।।
एइ बार करुना करो ललिता विशाखा।
सख्यभावे श्रीदाम सुबल आदि सखा।।
सबे मिली दया करो पुरुक मोर आस।
प्रार्थना करये सदा नरोत्तम दास।।
हा निताई
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