निताई नागर

*'निताइ नागर, रसेर सागर,सकल रसेर गुरु।*
*जे जाहा चाय, तारे ताहा देय,वांछाकल्पतरु।।*
*(निताइ) राधार समान कृष्णे करे मान,सतत थाकये संगे।*
*बसि थाकि थाकि, उठये चमकि,कृष्णकथा रसरंगे।।*
*बसि वाम पाशे, मृदु मृदु हासे,प्राणनाथ बलि डाके।*
*राधार जेमन, मनेर वासना,तेमति करिया थाके।।।*
*सोनार केतकी, देखिते मूरति,साधिते मनेर साधा।*
*दास वृन्दावन, करे निवेदन,देखिते निताइ राधा।।*

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