प्रभु कहे नित्यानन्द
प्रभु कहे नित्यानन्द, जग-जीव हैल अन्ध,
केह त ना पाइल हरिनाम।
एक निवेदन तोरे, नयने देखिबे जारे,
कृपा करि लओयाइबे नाम॥
कृत पापी दुराचार, निन्दुक पाषंड आर,
केह जेन वंचित ना हय।
शमन बलिया भय, जीवे जेन नाहीं रय,
सुखे जेन हरिनाम लय॥
कुमति तार्किक जन, पडुआ अधमगन,
जन्मे जन्मे भकति विमुख।
कृष्ण-प्रेमदान करि, बालक वृद्ध पुरुष नारी,
खंडाइह सबाकार दुख॥
संकीर्तन प्रेम-रसे, भासाइया गौड़देशे,
पूर्ण कर सबाकार आश।
हेन कृपा अवतारे, उद्धार नहिल जारे,
की करिबे बलरामदास॥
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