महाप्रभु जी का जाप

श्री चैतन्य महाप्रभु का जाप एवं कीर्तन के लिये आदेश

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श्री चैतन्य महाप्रभु का जाप एवं कीर्तन के लिये आदेश🙏🏼
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श्री चैतन्य भागवत (मध्यलीला 23.73-84)

🌸⚜प्रभु बोले 'कृष्ण भक्ति हउक सभार।
कृष्ण गुण नाम वई ना बलिह आर।।(73)

⏩प्रभु कहते है- "तुम सबको कृष्ण भक्ति मिले।
तुम सब श्री कृष्ण के गुण और नाम के अतिरिक्त और कुछ न बोला करो"

🌺⚜आपने सभारे प्रभु करे उपदेश।
'कृष्ण नाम महामन्त्र शुनह विशेष।।(74)

⏩प्रभु आप ही सबको उपदेश करते है कि " ध्यान पूर्वक कृष्ण-नाम-महा मन्त्र सुनो,

🌸⚜'हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे'(75)

⏩"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

🌺⚜प्रभु बोले "कोहिलांग एई महामन्त्र।
इहा गिया जप सभे करिया निर्वन्ध।।(73)

⏩प्रभु बोले "यह मंत्र मैंने कहा है इसे सब निश्चित संख्या में नियमपूर्वक जपो"

🌸⚜इहा हैते सर्वसिद्धि हइव सभार।
सर्वक्षण बोल,इथे विधि नाही आर।।(77)

⏩इससे ही सबको सर्व सिद्धि प्राप्त हो जाएगी।इसे सब समय कीर्तन किया करो।इसके लिए देश काल पात्रादि की कोई विधि नही है।

🌺⚜दश पाँचे मिलि निज दुयारे वसिया।कीर्तन करिह सभे हाथे ताली दिया।।(78)

⏩बस अपने गृह के द्वार पर दस पांच जने मिलकर हाथ से ताली देते हुए सब कीर्तन किया करो

🌸⚜'हरये नमः कृष्ण-यादवाय नमः।
गोपाल गोविन्द राम श्री मधुसूदन।।(79)

⏩"(हरी)हरये नमः कृष्ण यादवाय नमः।
गोपाल गोविन्द राम श्री मधुसूदन।।

🌺⚜कीर्तन कहिल एई तोमा सभाकरे।
स्त्रिये पुत्र बापे मिलि कर गिया घरे।।(80)

⏩यह कीर्तन मैंने तुम सबको बता दिया-घर जाकर स्त्री,पुत्र,पिता,सब मिलकर यही कीर्तन करो।

🌸⚜प्रभु मुखे मन्त्र पाइ सभार उल्लास।
दंडवत करि सभे गेला निज-वास।।(81)

⏩प्रभु के मुखसे महामन्त्र प्राप्त कर सबको बड़ा उल्लास हुआ और वे दंडवत प्रणाम कर अपने घरों को चले गए।

🌺⚜निरवधि सभेई जपेन कृष्ण नाम।
प्रभुर चरण काय मने करे ध्यान।।(82)

⏩अब तो सब निरंतर कृष्ण जपते और चित्त से प्रभु के चरणों का ध्यान करते।

🌸⚜संध्या हैले आपन दुयारे सभे मिलि।
कीर्तन करेन सभे दिया कर ताली।।(83)

⏩संध्या होने पर अपने द्वार पर सब मिलकर हाथ से ताली बजाते हुए कीर्तन करते।

🌺⚜एई मत नगरे नगरे संकीर्तन।
कराईते लागिलेन शचिरनंदन।।(84)

⏩इस प्रकार श्री शची नंदन मुहल्ले मुहल्ले में संकीर्तन कराने लगे।

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