अभ्यवाणी 1
*|| प्रथम वाणी ||*
🌼 *अभय वाणी से*🌼
🌹हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 🌹
मा भै: (डरो मत)
🌷🌷🌷प्यारे ! मुझ में संभव - असंभव की कुछ भी कल्पना न कर | मैं कमल - नाल से हाथी बाँध सकता हूँ , गोष्पद में पर्वत डुबा सकता हूँ | मेरी गति का निर्णय कर सके , ऐसी शक्ति किसी में भी नहीं है | तू देह - चिंता , अर्थ - चिंता - सब का त्याग कर | मैने सब की व्यवस्था कर दी है | *पुकार , मुझे पुकार , तेरी सब ज्वालाएँ दूर होगी | डरो मत , डरो मत , डरो मत !*
*तू नाम ले - जब तक स्थिर नहीं हो पाता , तब तक नाम ले | तेरे पैर के नीचे से पृथ्वी खिसक जाय , सिर पर आकाश टूट पड़े अथवा तेरा सर्वनाश ही क्यों ना हो जाय , तू किसी ओर न देख कर दिन - रात नाम ले | तू यह निश्चित जान - तू मेरी गोद में है , मैं तुझे छाती से लगा कर तेरी रक्षा कर रहा हूँ | नाम ले - नाम ले - नाम ले |*
💫सर्वे नश्यन्ति ब्रह्माण्डे प्रभवन्ति पुन : पुन :
न में भक्ता: प्रणश्यन्ति नि:शंकाश्च निरापद :💫
*डर किस बात का ! मेरा भक्त कभी भी नष्ट नहीं होता | सब कुछ चला जायेगा , पर मेरा भक्त नि:शंक एवं निरपद बना रहेगा |* 🌷🌷🌷
मा भै: | मा भै: | मा भै:
( डरो मत | डरो मत | डरो मत |)
.... श्री श्री सीतारामदास ओंकारनाथ माहारजजी के अभय वाणी से🙏🙏🙏
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