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*💐श्रीमन्नित्यनिकुंजविहारिणे नमः।💐*
*💐श्री स्वामी हरिदासोविजयतेतराम्।।💐*

             *💐केलिमाल💐*

          *💐पद --३💐:-*

                            ऐसे हीं देखत रहौं ,जनम सुफल करि मानौं....
.प्यारे की भावती ,भावती जी को प्यारो ,जुगल किसोरहिं जानौं .
.छिनु न टरौ,पल होहूँ न इत उत ,,रहौं एक ही तानौं.
.श्री हरिदास के स्वामी .श्यामा कुञ्ज बिहारी मन रानौं.
अर्थ =====श्री हरिदास जी जो कि महाराज नृपति रसिक अनन्य चूड़ामणि श्री ललिता जू के अवतार हैं ,बिहारी बिहारिनी जू कि सभी लीलाओं का सृजन करते हैं..

    *💐अर्थ ===पद -३:-💐*

                         ..वे अपनी मन भांवती नित्य वा अविचल जोरी को दिन दिन लाड़ लड़ाते रहते हैं ..इन का आधार ही विहार है ,,,भूख ,प्यास ,नींद सर्दी गर्मी सुख दुःख से परे यह केवल लालन लाल कि लीला का ही मधु पान करते रहते हैं ,,.एक बार सुंदर निकुंज में अति सुंदर आसन जो फूलों का बना हुआ था ,पर प्यारे कि भावती[प्यारी]प्रियाजू और भांवती के प्यारे श्री बिहारी जू ..आसीन हो करके मन को प्रसन्न करी नैनन में आंजन दे परस्पर गलबांही दिए बैठे थे .....महा आनंद में दोनों रस मत्त मिली विहार कर रहे थे ...जो कि सखियों को अत्यंत सुख दे रहा था ..श्री हरिदासी जू सुंदर फूलों का श्रृंगार किये ,रत्न जडित चौकी पर बैठी हुई आनंदित हो रही थी ..तब उन्होंने ये वचन बोले ====[हे सखियों सुनो,ये सुंदर जोरी को तो बस देखती ही रहूँ बलिहारी जाऊं ,ऐसे ही देखती रहूँ तो मेरा जीना सफल हो जायेगा ...जो ये करें ,सो इनको भावे वो करें .सो इनको भावे इनकी प्रसन्नता में ही मेरी प्रसन्नता है ....ये जो प्यारे कि भावती ..और भांवती के प्यारे हैं ,इनको तो मैं युगल किशोर हीं जानूँ हूँ ..ये तो एक क्षण भी बिछड़ते नहीं ........श्री हरिदास जी कहते हैं ==कि ये तो हर समय सुख में ही मगन रहते हैं ..लाड़ली जू तो अलबेली हैं ,गर्वीली हैं ,सुकुमारी हैं .मनमौजी हैं ..चाहे वह जो करें ,लालजी तो उनके रूप के लोभी हर समय डरते रहते हैं कि प्रिया जू उनसे रूठ न जाएँ .............इनकी चितवन पे बलिहारी जाऊं ,,,,सखियों ने भी मन भावती जोरी के दर्शन करके अपना तन मन शीतल किया ......वह अपने आप को बड़भागी मानती है कि उन्हें मदमाती युगल जोरी को निहारने का सौभाग्य मिला है ......
          *💐श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास💐*

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