2

*🌷श्रीमन्नित्यनिकुंजविहारिणे नमः।🌷*
          🌷 *श्री स्वामी हरिदासोविजयतेतराम्।।🌷*

                🌷 *केलिमाल🌷*

    *🌷पद --२🌷*
                            ,,,रुचि के प्रकाश परस्पर खेलन लागे..राग रागिनी अलौकिक उपजत ....नृत्य संगीत अलग लाग लागे ............
.राग ही में रंग रह्यौ ..रंग के समुद्र में ए दोउ झागे ...
..श्री हरिदास के स्वामी श्यामाकुञ्ज बिहारी .पे करति हैं और कब प्रिया जू ये रंग रस हीं में पागे ..........

*🌷अर्थ===२==🌷*
                                  अद्भुत निकुंज महल प्रकाश रूप जो कि विहार का हीं प्रकाश है ,बहुत हीं सुन्दर सजा हुआ है ..अत्यंत सुंदर फूलों कि सेज पर दोनों लाडली-लाल जू बन्नी बन्ना विराजमान हैं ..महारास रात्रि का चन्द्रमा जग-मगा रहा है .,,श्री हरिदास जी सहज सुंदर फूलों का श्रृंगार किये ,फूलों के आसन पर विराजमान हैं ,दोनों लाडली-लाल जू को लाड़ लड़ा रहे हैं .......उन्हें देखकर हरिदासी सखी ,दूसरी सखी से कहती है ..==='हे सखी देखो तो ,ये दोनों प्रिया -प्रियतम का मनोरथ उनका प्रकाश ही है ..विहार में दोनों रास खेलते हैं ..राग तो प्रियतम का स्नेह है ..और रागिनी लाडली जू का स्नेह .इन दोनों का स्नेह कितना अलौकिक प्रतीत होता है .........कभी तो बिहारिनी जू विशेष नृत्य करती हैं .और कभी बिहारी जी अपने निराले ढंग से नृत्य करते हैं .....दोनों का नृत्य अलग-अलग ही लग रहा है ...ऐसे लग रहा है कि दोनों रंग के समुद्र में झागें हैं,यानि आनंद के समुद्र में झूल रहे हैं .........श्री हरिदासी जू बोलीं =कि आज के खेल में अति रंग बरस रह्यो है ...दोनों रस में इतने मगन हैं कि महा-आनंद के भार से दोनों के अंग मिली के एक ही हो गए हैं .............
           *🌷श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास🌷*

Comments

Popular posts from this blog

शुद्ध भक्त चरण रेणु

श्री शिक्षा अष्टकम

श्री राधा 1008 नाम माला