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*श्रीश्री निताई गौर लीलामृत*

*जगाई मधाई दस्युओं का उद्धार*

             भाग 6

         संसार से पार जाने के इछुक भक्तगण सर्वतोभावेन श्रीश्री निताई गौर के चरण कमलों का अनुराग करें।।इधर जगाई मधाई के ऊपर महाप्रभु जी की इतनी कृपा जानकर सबने नयनों से अश्रु बहाते हुए जगाई मधाई को प्रणाम किया।जगाई मधाई को इसका होश नहीं, जन्म जन्मांतर के बाद आज उनको गौर चरण कमलों की प्राप्ति हुई है।वे भृमर की तरह उनके श्रीचरण कमलों का मकरन्द रस प्राप्त किये हैं, जैसे एक दुधमुंहा बालक माता का दूध पान करता है।गौरसुन्दर निताई चाँद ने उन्हें अपने कर कमलों से आशीर्वाद देकर उठाया।

    प्रभु कृपा से उन्होंने देखा कि सचि मैया का आँगन वैकुंठपुरी का ही एक स्थान है।श्रीश्रीबिष्णुप्रियागौर वहां एक रत्न जड़ित सिंघासन पर बैठे हैं।जहां देवता जुगलराज की स्तुति कर रहे हैं।अब श्रीमन महाप्रभु जी ने श्रीनित्यानन्द प्रभु जी की ओर देखकर कहा -श्रीपाद जगाई मधाई आज से तुम्हारे हो गए।इनको गंगा स्नान करवाकर हरेकृष्ण महामन्त्र प्रदान करो।श्रीनित्यानन्द प्रभु जी उनको सब भक्तों के साथ लेकर गंगा तट की ओर चल पड़े।महाप्रभु भी साथ साथ चल रहे हैं , और साथ मे ग्राम के असंख्य लोग आश्चर्य चकित होकर निताई गौर की महिमा गाते हुए चल रहे हैं।बहुत ही उद्दंड नृत्य कीर्तन हुआ।जगाई मधाई उद्धार लीला विद्युत की भांति पूरे नगर में फैल गयी।गंगा तट पर सभी लोग एकत्रित हो गए।सभी आश्चर्यचकित हैं। निताई गौर की अपार करुणा को देख ऊपर से देवगण आनन्दित हैं।देवगण निताई चाँद की करुणा लीला का गायन कर नृत्य कर रहे हैं।उनके हृदय देश मे निताई गौर की यह लीला स्फुरण हो उठी।सभी लोग अद्भुत अद्भुत कह उठे।इधर कीर्तन से परिश्रान्त भक्तों के साथ गौरसुन्दर परम आनन्दपूर्वक गंगा स्नान कर रहे हैं।गौरसुन्दर प्रिया भक्तों के साथ आनन्दपूर्वक ब्रज भाव मे जलकेलि कर रहे हैं।जल में प्रवेश करते ही श्रीअद्वैत प्रभु और नित्यानंदजी सख्य भाव मे हास परिहास करते करते एक दूसरे पर जल फेंकना आरम्भ कर दिया।आज जगाई मधाई भी ब्रज भाव मे सबके साथ हैं।दोनो के भाग्य और आनन्द की सीमा नहीं है।श्रीगौरहरि ने उनको अपना लिया है।वे भी सब भक्तों को देख आनन्द से हंस रहे हैं।नित्यानन्द जी उनकी भक्ति , उनकी दीनता और उनकी हंसी ,मधुरता देखकर आज बहुत प्रसन्न हैं।

   श्रीनित्यानन्द प्रभु और श्रीमनमहाप्रभु ने जैसे ही जगाई मधाई को अपनाया और आलिंगन किया वैसे ही उनके समस्त अशुभ चले गयेऔर उनमें देवताओं के समस्त गुण आ गए।

   इस तरह आनंदपूर्वक गंगास्नान लीलारंग समाप्त हुआ, श्रीगौरहरि भक्तगण सहित बाहर आये और उन्होंने जगाई मधाई को बुलाया। दोनो भाई हाथ जोड़कर प्रभु के सामने उपस्थित हुए। श्रीगौरसुन्दर ने नित्यानंदजी जी से कहा -श्रीपाद !जगाई मधाई ने गंगा स्नान कर लिया है, अब कृपया इन्हें श्रीहरिनाम देकर धन्य करें।

   श्रीनित्यानन्द जी ने उनको हरेकृष्ण महामन्त्र दान दिया

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

  कलियुग पावनावतार श्रीश्री नित्यानंदजी से दीक्षा पाकर जगाई मधाई को नवजीवन प्राप्त हुआ, वे देवताओं के लिए वंदनीय हो गए।रँगीले निताई चाँद की ऐसी अद्भुत कृपा। जय जय श्रीश्रीनित्यानंद प्रभु की जय। श्रीश्री जगाई मधाई की जय।क्रमशः

जय निताई जय गौर

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