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*श्रीश्री निताई गौर लीलामृत*

*जगाई मधाई दस्युओं का उद्धार*

             भाग 9

जिस प्रकार गौरांग महाप्रभु ने जगाई मधाई का उद्धार किया और स्वयम उनका मान सम्मान बढ़ाया और ऐसे पतितों का उद्धार कर इतना सम्मान गौरसुन्दर ही दे सकते हैं।वृन्दावन की निकुंज लीला माधुरी उसमे निताई गौरांग के बिना कलिहत जीव कभी प्रवेश नहीं कर सकता था।कृष्णनुरागमयी गोपियों की महाभावमयी भक्ति की शक्ति प्रेम को समझने की शक्ति भी किसमे थी।हे सज्जन गण !इस कलिकाल में भी कृष्ण प्रेम रूपी महारत्न का महादान करने वाले श्रीश्री निताई गौरांग का सदा सर्वदा, जब तक देह में शक्ति और प्राण हैं तब तक जय निताई जय गौर नाम गान करते हुए उनकी माधुरी का गान करते रहो। ओह!!इस कलिकाल में उनके जैसा उनके जैसा अनन्त करुनानिधान और कोई नहीं देखा।हाय !हाय ! जय निताई जय निताई कहते जिनकी आंखों में आंसू नहीं आते हैं उनका हृदय पत्थर का बना है।

    यधपि नरहरि सरकार ने दीनतापूर्वक पद में यह कहा है कि उनका हृदय पाषाण सम कठोर है , चूंकि यह निताई गौर बोल बोलकर गल क्यों नहीं गया।परन्तु कवि महोदय तो प्रेमरस से पूर्ण हैं। अपनी निंदा उनकी दीनता है।अतः अवश्य यह उन्होंने मेरे लिए ही कहा है।हे श्रीश्री निताई गौरांग प्रभु ! आप कृपा कर मुझ पर ऐसी दया करें जो आपने जगाई मधाई पर की थी।
  हे दयामय प्रभु ! मैं तो जगाई मधाई से भी अधिक दीन हीन हूँ।आपकी करुणा के बिना मेरा उद्धार भी नहीं है।पतितों का उद्धार करने को ही आपका उद्धार हुआ है।मैं तो संसार का सबसे अधिक पापी और पतित हूँ।हे अक्रोध परमानंद नित्यानन्द राय आप अभिमान शून्य हैं।

  हे नित्यानंदजी जी !आप सदा सर्वदा श्रीगौर प्रेम में मग्न हैं।प्रेमानन्द में सुख पूर्वक विचरण कर रहे हैं।आप मुझ शोकग्रस्त , दुखी और रोगी को श्रीगौर प्रेम का एक बिंदु दान कर कृपा करें।हे जगतगुरु आचार्यवर श्रीअद्वैत प्रभु जी आप जगत में किसी को भी भक्ति दान कर सकते हैं।महाप्रभु जी का ऐसा आपको वरदान है।आपकी कृपा से श्रीश्री नित्यानंद गौरसुन्दर के चरण कमलों की प्राप्ति हो सकती है।हे रूपादि अष्ट गोस्वामिगण आप सब मुझ पतित पर कृपा करो।हे श्रीवासाचार्य प्रभु , रामचन्द्र प्रभु और समस्त वैष्णव गण और श्रीगुरुवर्ग गण आप ही गौर करुणा के काण्डरी हैं। अतः आपकी प्रसन्नता से ही मुझे श्रीश्रीनिताईगौर की चरण सेवा और प्रसन्नता प्राप्त हो यही मेरी सद्ववांछा जन्म जन्म तक बनी रहे। सर्व पावनकारी सर्वोत्तम कल्याणकारी महिमायुक्त सर्वाधिक चमत्कारी सर्वोज्जवल परम उदार शिरोमणि श्रीश्रीनिताईगौर की जय हो।जिन्होंने जगाई मधाई जैसे हजार हजार जनों को सद्मार्ग पर अर्थात भक्तिमार्ग पर लगाया।यहां तक कि श्रीश्रीनिताईचाँद ने हरीदास ठाकुर के साथ जाकर हजारों मुसलमानों को श्रीहरिनाम देकर परम पावन किया।

कलि शमन यदि चाहो हे
कलियुग पावन कलिमश नाशन,
निताई गौरांगो गाओ हे।
गदाधर मादन श्रीनिताई प्राणधन,
श्रीअद्वैत परपूजित गेरा
निमाई विशम्भर श्रीनिवास ईश्वर
भक्त समूह चितचोरा।
नदिया प्राणधन मायापुर ईश्वर
नाम प्रवर्तनसुर।

गौरसुन्दर ने आज्ञा की -हे निताई !जगत जीवों को श्रीहरिनाम दान करो।निताई हर्षित होकर , हरिदास को सँग लेकर कहें जन जन जाकर-

कहे जनजन जाकर।
हे दीनजन सुनो मधुर कथा
आनंद पाऊँ आकर
तव उद्धारक श्रीकृष्णचैतन्य
नवद्वीपे अवतार।
तुम सम शत दीन हीन जन
किये भव पार।
नन्दसुत जो चैतन्य गोसाईं
निज नाम करते दान
तारा जगत तुम भी जाकर
पाओ निजपरित्राण।
भक्तिविनोद कहे हे नित्यानन्द
तुम हो मम प्राण
परम करुणा भाई दो जन,
निताई गौरचन्द्र
सब अवतार सार शिरोमणि
केवल आनन्द कन्द।
भज भज भई चैतन्य निताई
सुदृढ विश्वास करि।
विषय विष सम नाम प्रेम सम
मुखे बलो हरि हरि।
देख ओहे भाई त्रिभुवने नहीं
ऐसे दयाल दाता।
पशु पक्षी झूमें पाषाण गलें
सुन गौर गुण गाथा।
संसारे आसक्ति रहेगी प्रव्रीति
यदि न गौर चरणे आस।
निताई चरण नाशे शमन
कहे श्री लोचनदास।

क्रमशः

जय निताई जय गौर

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