राधाकृष्ण एई निवेदन
*राधाकृष्ण निवेदन एई जन करे।*
*दोंह अति रसमय , सकरूण ह्रदय ,* *अवधान कर नाथ मोरे ।*
*हे कृष्ण गोकुलचन्द्र, हे गोपी प्राणवल्लभ* *हे हे कृष्ण प्रिया शिरोमणि*
*हेन गौरी श्याम गाय , श्रवणे परश पाये,*
*गुण शुनि जुड़ाय पराणी॥*
*अधम दुर्गति जने , केवल करूणा मने,*
*त्रिभुवने ए यश खेयाति*
*शुनिया साधुर मुखे , शरण लईनु सुखे ,*
*उपक्षिले नाहि मोर मति ॥*
*जय राधे जय कृष्ण, जय जय राधेकृष्ण,*
* कृष्ण कृष्ण जय जय राधे ।*
*अञ्जलि मस्तके धरि, नरोत्तम भूमे परि,*
*कहे दोंहे पुराओ साधे ॥*
हे हे श्रीराधा कृष्ण ! मैं आपके समक्ष एक निवेदन करता हूँ....... आप दोनों अति रसमय हैं , और आप दोनों का ही ह्रदय अतिशय करूणा से पूरित है , हे नाथ !! मेरी ओर थोड़ा ध्यान दीजिये ।
हे गोकुल चन्द्र श्रीकृष्ण ! हे गोपीजन -प्राणवल्लभ !! हे हे श्रीकृष्ण- कान्ता- शिरोमणि श्रीराधे !!! हे हे गौर-श्याम विग्रह !!!! आपके गुणों का कानों द्वारा स्पर्श प्राप्त करते ही प्राणी मन में अति शान्ति व शीतलता प्राप्त करते है ।
आपके चित्त में अधम एवम् पतित जीवों के प्रति सदा करूणा रहती है । हे युगल किशोर ! आपका ऐसा यश त्रिभुवन में फैल रहा है । साधु जनों के मुख से यह सब सुनकर मैंने आपकी शरण पकड़ी है । हे करूणामय ! यदि आप ही मेरी उपेक्षा करेंगे तो मेरी फिर और कहीं गति नहीं है ।
हे राधे ! हे कृष्ण !! आपकी जय हो , जय हो !!! हे प्रिया प्रियतम ! आपकी जय हो , बारबार जय हो !! मैं दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर धर आपको दण्डवत् प्रणाम करता हूँ और करबद्ध आपसे यही प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरी मनोकामना पूर्ण कीजिए !!!
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