निताई आमार
🌹🌹निताई आमार🌹🌹
*अरे भाई निताई आमार दयार अवधि*
*जीवेर करुणा करि देशे देशे फिरी फिरी*
*प्रेम धन बाँचे निरबाधि*
अरे भाई हमारे निताई चाँद परम् करुणामयी प्रेम अवतार हैं।यह सब जीवों के कल्याण हेतु नगर नगर भृमण कर रहे हैं तथा अति दुर्लभ प्रेम धन का वितरण कर रहे हैं।
*अद्वैतेर सङ्गे रङ्ग धरणे नय अंग*
*गौरा प्रेम रङ्ग तानु खानि*
*डुलिया डुलिया चले बाहु तुली हरि बोले*
*दोउ नयन बहे निताइर पानी*
यह अद्वैत प्रभु के साथ विनोद करते हैं, इनकी रूप माधुरी, इनके अंगों की मधुरिमा अनिर्वचनीय है।यह गौर प्रेम से भरे हुए हैं, अर्थात गौर प्रेम की खान हैं।प्रेमावेश के कारण यह चलने में भी असमर्थ हैं।जिनके दोनों नेत्र प्रेम रस मदिरा से भरे हुए सदा बहते रहते हैं।
*कपाले तिलक सोहे कुटिल कुंतल लोले*
*गुँजार अंतूनी चूड़ा ताय*
*केशरी तटिया कटि कटि तटे नील दटी*
*बाजेर नूपुर रङ्ग पाय*
इनके मस्तक पर तिलक शोभा दे रहा है केशों पर लाल रंग से शोभित किया हुआ आभूषण है।इनका कटि क्षेत्र सिंह के समान विशाल है और इनके कटि क्षेत्र पर नील वस्त्र शोभ रहे हैं तथा चरणों मे धारण की हुई नूपुर भी आनन्द का ही वितरण कर रही है।
*भुवन मोहन वेश मजाइल सब देश*
*रसावेशे अट्ट अट्ट हास*
*प्रभु मोर नित्यानन्द केवल आनन्द कन्द*
*गुण गाये वृन्दावन दास*
इनका वेश त्रिभुवन को मोह लेने वाला है, यह सब जगह आनन्द का वितरण करते हुए जा रहे हैं।रसावेश से कभी यह उच्च स्वर से हँसने लगते हैं। श्रीवृन्दावन दास कहते हैं कि मेरे प्रभु तो श्रीनित्यानन्द हैं, जो केवल आनन्द स्वरूप हैं, मैं इन्हीं के गुणों का बखान करता हूँ। इनकी सदा ही जय हो ! जय हो ! जय हो !
नित्यानन्द राम नित्यानन्द राम नित्यानन्द राम जय नित्यानन्द राम
हरिबोल हरिबोल हरिबोल जय गौर निताई बोल
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