परम करुणा
🌼 *परम करुणा पहु दुइ जन* 🌼
*परम करुणा पहू दुइ जन, निताइ गौरचंद्र*
*सब अवतार-सार शिरोमणि,केवल आनंद-कंद।।१।।*
श्री गौरचंद तथा श्री नित्यानंद प्रभु दोनो ही परम करुणामय है। ये समस्त अवतारों के शिरोमणि एवं आनंद के भंडार है।
*भजो भजो भाइ, चैतन्य निताइ,सुदृढ बिश्वास कोरि’*
*विषय छाडिया, से रसे मजिया,मुखे बोलो हरि हरि।।२।।*
तुम श्री चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद प्रभु का दृढ़ विश्वास पूर्वक भजन करो। विषयो को त्यागकर इन दोनों के प्रेमरस में डूबकर मुख से हरि हरि बोलते रहो।
*देखो ओरे भाइ, त्रि-भुवने नाइ,एमोन दोयाल दाता*
*पशु पाखी झुरे, पाषाण विदारे,शुनि’ जार गुण गाथा।।३।।*
देखो भाई! इस त्रिभुवन में इतना दयालु अन्य कोई नही है। इनका गुणगान सुनकर पशु पक्षियों का हृदय भी द्रवित हो जाता है तथा पाषाण भी विदीर्ण हो जाता है।
*संसारे मजिया, रोहिलि पोडिया,से पदे नहिलो आश*
*आपन करम, भुञ्जाये शमन,कहोये लोचन-दास।।४।।*
मैं तो संसारिक विषयो में ही रमा पड़ा रहा और श्रीगौरनित्यानंद के चरणकमलों के प्रति मेरी रुचि नही जागी। लोचनदास कहते है कि अपने दुष्कर्मो के कारण ही यम के दूत मुझे इस दुख का भोग करा रहे है।
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