संध्या आरती कीर्तन

संध्या आरती के बाद होने वाला कीर्तन-1
दोहा

पराभक्ति रति वर्द्धनी, स्याम सब सुख दैनि। रसिक मुकुटमनि राधिके, जै नव नीरज नैन।।

स्तोत्र

जयति जय राधा रसिकमनि मुकुट मन-हरनी त्रिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 1 ।।
जयति गोरी नव किसोरी सकल सुख सीमा श्रिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 2 ।।
जयति रति रस वर्द्धनी अति अद्भुता सदया हिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 3 ।।
जयति आनंद कंदनी जगबंदनी बर बदनिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 4 ।। 
जयति स्यामा अमित नामा वेद बिधि निर्वाचिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 5 ।।
जयति रास-बिलासिनी कल कला कोटि प्रकाशिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 6 ।।
जयति बिबिध बिहार कवनी रसिक रवनी सुभ धिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 7 ।। जयति चंचल चारु लोचनि दिव्य दुकुला भरनिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 8 ।।
जयति प्रेमा प्रेम सीमा कोकिला कल बैनिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 9 ।।
जयति कंचन दिव्य अंगी नवल नीरज नैनिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 10 ।।
जयति बल्लभ बल्लभा आनंद कलभा तरुनिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 11 ।।
जयति नागरि गुन उजागरि प्रान धन मन हरनिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 12 ।।
जयति नौतन नित्य लीला नित्य धाम निवासिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 13 ।।
जयति गुण माधूर्य भूपा सिद्धि रूपा शक्तिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 14 ।।ॉ
जयति सुद्ध स्वभाव सीला स्यामला सुकुमारिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 15 ।।
जयति जस जग प्रचुर परिकर हरिप्रिया जीवनि जिये। पराभक्ति प्रदायिनी करि कृपा करुणानिधि प्रिये।। 16 ।

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