गौरांग बोलिते

*श्री नरोत्तम प्रार्थना*
(श्रील नरोत्तम दास ठाकुर विरचित प्रार्थना)
*"गौरांग"- बलिते हवे पुलक शरीर।'हरि हरि' बलिते नयने बहे नीर।।*

*अर्थ*-श्री गौरांग नाम उच्चारण करते ही कब मेरा शरीर पुलकित हो उठेगा?श्रीहरि श्रीहरि कहते कब मेरे नेत्रों से प्रेमाश्रु बहेंगे?

*आर कबे निताई चाँद करुणा करिबे।संसार वासना मोर कबे तुच्छ हवे।।*

*अर्थ*- कब श्री निताई चाँद मुझपर करुणा करेंगे,कि जिससे मेरी समस्त सांसारिक वासनाएं तुच्छ हो जाएंगीं?

*विषय छाड़िया कबे शुद्ध हवे मन। कबे हम हेरव सेइ वृन्दावन।।*

*अर्थ*- विषयों को त्यागकर कब मेरा मन निर्मल होगा?कब मैं श्री वृन्दावन के दर्शन पाऊंगा?

*श्री रूप रघुनाथ पदे हइवे आकुति। कबे हम बूझव से जुगल पिरीति।।*

*अर्थ*- श्री श्री रूप-रघुनाथ गोस्वामी जी चरण दर्शनों के लिए कब मैं व्याकुल हो उठूंगा?और कब श्री श्री राधा कृष्ण युगल के प्रेम तत्व को मैं समझ पाउँगा?

*रूप-रघुनाथ-पदे रहु मोर आश। प्रार्थना करये सदा नरोत्तम दास।।*

*अर्थ*- श्री श्री रूप-रघुनाथ गोस्वामी पादों के चरणों की आशा है।उसी आशा में, मैं नरोत्तम दास सदा यही प्रार्थना करता हूँ।

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