वृन्दावन धाम

वृन्दावन धाम नीकौ बृज कौ विश्राम नीकौ,
श्यामा श्याम नाम नीकौ मन्दिर अनंद कौ।
कालीदह न्हन नीकौ यमुना पयपान नीकौ,
रेणुका कौ खान नीकौ स्वाद मानौ कंद कौ॥
राधाकृष्ण कुण्ड नीकौ, संतन कौ संग नीकौ,
गौरश्याम रंग नीकौ अंग जुग चंद कौ।
नील पीतपट नीकौ बंसीवट तट नीकौ,
ललित किशोरी नीकी नट नीकौ नंद कौ॥
- श्री ललित किशोरी देव, श्री ललित किशोरी देव जू की वाणी

श्री वृंदावन धाम का क्षेत्र अति ही सुखद है और वहाँ समय व्यतीत करना आनंदमय है! दिव्य युगल श्री श्यामाजू और श्री श्यामजी के अद्भुत नाम अति ही आकर्षक हैं और सभी मंदिरों में आनंद प्रदान करते हैं। जिस स्थान पर श्री कृष्ण ने काले सर्प कालिया को परास्त किया और श्री यमुना नदी के जल को पीने के लिए विश से मुक्त कीया था, वहाँ स्नान करना बहुत आनंदमय है। दिव्य ब्रज रज का भंडार समस्त ब्रज मण्डल मे व्याप्त है, जिसके प्रत्येक कण का स्वाद चीनी की भांति मधुर है! राधा और कृष्ण कुण्ड, दोनों आश्चर्यजनक रूप से सुंदर हैं, और संतों का संग बहुत आनंदमय है। उनके गौर और श्याम वर्ण स्वरूप अति ही आकर्शक प्रतीत हो रहे हैं; जो एक साथ दो देदीप्यमान चंद्रमा की भांति दृष्टिगोचर हो रहें हैं। उनके नील वर्ण और पीत वर्ण की पोशाक बहुत ही आकर्षक और अद्भुत है। यमुनाजी के पास बंशीवट वृक्ष है जहाँ भगवान बैठते हैं और बांसुरी बजाते हैं। कवि ललितकिशोरी अब कहते हैं; "श्री कृष्ण का रूप कितना सुन्दर है, जो एक दिव्य नर्तक के रूप में क्रीड़ा कर रहे है!"

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