अरुणोदय कीर्तन
🏵️ *अरुणोदय-कीर्तन*🏵️
*जीव जागो, जीव जागो, गोराचाँद बोले।*
*कत निद्रा जाओ माया पिशाचीर कोले।।*
श्रीगौरसुन्दर कह रहे है - अरे जीव जाग! और कितनी देर तक मायारूपी पिशाची की गोद मे सोयेगा।
*भजिबो बलिया ऐसे संसार भीतरे।*
*भुलिया रहिले तुमि अविधारे भरे।।*
तू इस जगत में 'मै भजन करूंगा, ऐसी प्रतिज्ञा करके आया था। परंतु जगत में आकर अविद्या (माया) में फसकर तू सब भूल गया है।
*तोमारे लईते आमि हइनु अवतार।*
*आमि बिना बंधु आर के आछे तोमार।।*
अतः तुझे लेने के लिए मैं स्वयं ही इस जगत में अवतरित हुआ हूं।अब तू स्वयं विचार कर कि मेरे अतिरिक्त तेरा बंधु अन्य कौन है ?
*एनेछि औषधि माया नाशिबार लागि।*
*हरिनाम महामन्त्र लओ तुमि मागि।।*
मै माया का विनाश करने वाली औषधि 'हरिनाम महामन्त्र' लेकर आया हूँ। अतः तू मुझसे महामंत्र मांग ले ।
*भक्तिविनोद प्रभु चरणे पड़िया।*
*सेइ हरिनाम मंत्र लइल मागिया।।*
भक्तिविनोद ठाकुर जी ने भी श्रीमन्महाप्रभु के श्री चरणों मे गिरकर वह हरिनाम मंत्र मांग लिया है।
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