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A3नरोतम 3

 प्रार्थना :-
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 राधाकृष्ण निवेदन एई जन करे।
   दोंह अति रसमय , सकरूण ह्रदय ,
    अवधान कर नाथ मोरे ।

हे कृष्ण गोकुलचन्द्र, हे गोपी प्राणवल्लभ
    हे हे कृष्ण प्रिया शिरोमणि ।
  हेन गौरी श्याम गाय , श्रवणे परश पाये,
   गुण शुनि जुड़ाय पराणी ॥

अधम दुर्गति जने , केवल करूणा मने,
     त्रिभुवने ए यश खेयाति ।
   शुनिया साधुर मुखे , शरण लईनु सुखे ,
    उपक्षिले नाहि मोर मति ॥

जय राधे जय कृष्ण, जय जय राधेकृष्ण,
    कृष्ण कृष्ण जय जय राधे ।
   अञ्जलि मस्तके धरि, नरोत्तम भूमे परि,
   कहे दोंहे पुराओ साधे ॥

♻ शब्दकोश :-
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अवधान - ध्यान करो
परश -स्पर्श पाना (यहां - श्रवण से )
जुड़ाय - शीतलता प्राप्त करनी
पुराओं -पूर्ण करो

 अनुवाद :-
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♻ हे हे श्रीराधा कृष्ण ! मैं आपके समक्ष एक निवेदन करता हूँ....... आप दोनों अति रसमय हैं , और आप दोनों का ही ह्रदय अतिशय करूणा से पूरित है , हे नाथ !! मेरी ओर थोड़ा ध्यान दीजिये ।

♻  हे गोकुल चन्द्र श्रीकृष्ण ! हे गोपीजन -प्राणवल्लभ !! हे हे श्रीकृष्ण- कान्ता- शिरोमणि श्रीराधे !!! हे हे गौर-श्याम विग्रह !!!! आपके गुणों का कानों द्वारा स्पर्श प्राप्त करते ही प्राणी मन में अति शान्ति व शीतलता प्राप्त करते है ।

♻ आपके चित्त में अधम एवम् पतित जीवों के प्रति सदा करूणा रहती है । हे युगल किशोर ! आपका ऐसा यश त्रिभुवन में फैल रहा है । साधु जनों के मुख से यह सब सुनकर मैंने आपकी शरण पकड़ी है । हे करूणामय ! यदि आप ही मेरी उपेक्षा करेंगे तो मेरी फिर और कहीं गति नहीं है ।

♻ हे राधे ! हे कृष्ण !! आपकी जय हो , जय हो !!! हे प्रिया प्रियतम ! आपकी जय हो , बारबार जय हो !! मैं दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर धर आपको दण्डवत् प्रणाम करता हूँ और करबद्ध आपसे यही प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरी मनोकामना पूर्ण कीजिए !!!

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 ॥श्रीराधारमणाय समर्पणं ॥3

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