महामन्त्र

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❥.• ❤️ •.॥श्रीकृष्ण शरणम् मम ॥.• ❤️ •.❥
                    ♡ राधे राधे ♡

                卐....जय श्री कृष्ण.....卐


*।। जय श्री कृष्णा ।।*।। राधे राधे ।। *सुप्रभात।।—*

*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*

🌷 *‘हरे’ का अर्थ है–* सर्वचेतोहर: कृष्णनस्तस्य चित्तं हरत्यसौ– सर्वाकर्षक भगवान् कृष्ण के भी चित्त को हरने वाली उनकी आह्लादिनी शक्तिरूपा ‘हरा’ अर्थात– श्रीमती राधिका|
🌷 *‘कृष्ण’ का अर्थ है–* स्वीय लावण्यमुरलीकलनि:स्वनै:– अपने रूप-लावण्य एवं मुरली की मधुर ध्वनि से सभी के मन को बरबस आकर्षित लेने वाले मुरलीधर ही *‘कृष्ण’* हैं|

🌷 *‘राम’ का अर्थ है-*
रमयत्यच्युतं प्रेम्णा निकुन्ज-वन-मंदिरे–

निकुन्ज-वन के श्रीमंदिर में श्रीमती राधिका जी के साथ माधुर्य लीला में रमण करते करने वाले *राधारमण* ही *‘राम’* हैं|
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🌷 *प्रमाण: --* हरेकृष्ण महामंत्र कीर्तन की महिमा वेदों तथा पुराणों में सर्वत्र दिखती है| कलिकाल में केवल इसी मन्त्र के कीर्तन से उद्धार संभव है|

*अथर्ववेद की अनंत संहिता में आता है–*
षोडषैतानि नामानि द्वत्रिन्षद्वर्णकानि हि| कलौयुगे महामंत्र: सम्मतो जीव तारिणे||

*सोलह नामों तथा बत्तीस वर्णों से युक्त महामंत्र का कीर्तन ही कलियुग में जीवों के उद्धार का एकमात्र उपाय है|*

🌺 *अथर्ववेद के चैतन्योपनिषद में आता है–*
स: ऐव मूलमन्त्रं जपति हरेर इति कृष्ण इति राम इति|

*भगवन गौरचन्द्र सदैव महामंत्र का जप करते हैं जिसमे पहले ‘हरे’ नाम, उसके बाद ‘कृष्ण’ नाम तथा उसके बाद ‘राम’ नाम आता है| ऊपर वर्णित क्रम के अनुसार महामंत्र का सही क्रम यही है की यह मंत्र ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण...’ से शुरू होता है, न की ‘हरे राम हरे राम....’ से| जयपुर के संग्रहालय में अभी भी प्राचीनतम पांडु-लिपियों में महामंत्र का क्रम इसी अनुसार देख सकते है|*

🙏 *यजुर्वेद के कलि संतारण उपनिषद् में आता है–*
इति षोडषकं नाम्नाम् कलि कल्मष नाशनं| नात: परतरोपाय: सर्व वेदेषु दृश्यते||
🌺 *सोलह नामों वाले महामंत्र का कीर्तन ही कलियुग में कल्मष का नाश करने में सक्षम है| इस मन्त्र को छोड़ कर कलियुग में उद्धार का अन्य कोई भी उपाय चारों वेदों में कहीं भी नहीं है|*

🌷 *पद्मपुराण में वर्णन आता है–*
*द्वत्रिन्षदक्षरं मन्त्रं नाम षोडषकान्वितं|*
*प्रजपन् वैष्णवो नित्यं राधाकृष्ण स्थलं लभेत्||*
*जो वैष्णव नित्य बत्तीस वर्ण वाले तथा सोलह नामों वाले महामंत्र का जप तथा कीर्तन करते हैं– उन्हें श्रीराधाकृष्ण के दिव्य धाम गोलोक की प्राप्ति होती है|*

🌷 *नित्य भजिये:--* 
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*

✍🏻प्रस्तुति: *व्रज, आनंद लहर (ज्ञान सरोबर), करुणामयी श्री राधा*

                卐....जय श्री कृष्ण.....卐

            ----आनंद लहर (ज्ञान सरोबर)🚩
            
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