प्रियतम वंशिका
एक दासी थी सबसे क्यों अलग,मैं देखता ही रह गया !प्रियतम🌿
निर्झर अश्रु में डूबी हुई, थी प्रेम की माला गुथी!प्रियतम🌿
मन में बैठा चित्तचोर बसा,वो तुम्हीं थे मेरे!प्रियतम🌿
वंशिका मन पल पल पुकार उठे,"मेरा युगल सुखी हो सदा"!प्रियतम🌿
दासी की बात सुनाऊँ क्या,है प्यार बड़ा मधुरम!प्रियतम🌿
दी प्यार में सार कुछ ही ऐसा,
प्रेम में त्याग दिखा !प्रियतम🌿
त्याग हुआ कुछ ऐसा भी ,देख लगा असम्भव !प्रियतम🌿
वो(वंशिका)बोल उठी सुंदर सा वचन,"मिलन युगल का"मधुर!प्रियतम🌿
सुना प्रेम अश्रु देता,विरह की अग्नि बड़ी !प्रियतम🌿
दासी की आँसू बनी अमृत,थे युगल बसे उसमे !प्रियतम🌿
जो पान किया रसखान बना,रस की खान तुम्हीं !प्रियतम🌿
वंशिका ने सुनाया स्वर सुंदर"युगल मिलन हो सदा"प्रियतम🌿
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