33
33श्री नरोत्तम प्रार्थना - ( 33 )
प्रार्थना :-
-----------
प्राणेश्वरी ! एइबार करूणा कर मोरे ।
दशनेते तृण धरि, अञ्जलि मस्तके धरि,
एइजन निवेदन करे ॥
प्रिय सहचरी संगे, सेवन करिब रंगे ,
अंगे वेश करिबेक साधे ।
राइ एइ सेवा काजे , निज पद पंकजे ,
प्रिय सहचरी गण माझे ॥
सुगन्धि चन्दन , मणिमय आभरण ,
कौषिक वस्त्र नाना रंगे ।
एइ सब सेवा जाँर , जेन हङ ताँर ,
अनुक्षण थाकि ताँर संगे ॥
जल सुवासित करि , रतन भृंगारे भरि ,
कर्पूर वासित गुया पान ।
ए सब साजाइया डाला , लवंग मालती माला ,
भक्ष्य द्रव्यनाना अनुपाम ॥
सखीर इंगित हबे , ए सब आनिया कबे ,
योगाइव ललितार काछे ।
नरोत्तमदास कय , एइ जेन मोर हय ,
दाँड़ाइया रहु सखीर पाँछे ॥
♻ शब्दकोष :-
-------------
दशनेते - दाँतों में
माझे - मध्य में
आभरण - आभूषण
भृंगारे - झारी
अनुपाम - अनूठे
दाँड़ाइया - अवस्थान करना
श्री युगल-किशोर की सेवा प्राप्ति ही भक्ति का प्राण है । नरोत्तम ठाकुर अपने मञ्जरी स्वरूप से श्री प्रियाजी से सेवा लालसा की याचना कर रहे है ।
अनुवाद :-
------------
♻ हे प्राणेश्वरी श्री राधिके ! इसी जन्म में एक बार मुझ पर करूणा कीजिये । मैं दाँतों में तृण दबाकर अर्थात अतिशय विनम्र होकर तथा अञ्जलि मस्तक पर धर कर अर्थात पूर्णतः शरणागत होकर आपसे आपका यह जन सेवा याचना कर रहा है ।
♻ चम्पक मञ्जरी कहती है ," हे श्री राधे ! आप आज्ञा करो तो मैं आपकी प्रिय सहचरियों के साथ मिलकर आपकी सेवा करूँ और आपके श्री अंग पर वेशभूषा धारण कराऊँ !! अपनी सखी वृन्द के मध्य मुझे भी अपने चरण कमल के सेवा कार्य में नियुक्त कर लीजिए !!!
♻ हे प्रिया जू ! आपको सुगन्धित चन्दन अर्पण करना , मणियों से जटित आभूषण धारण कराना और अनेक प्रकार के रंग बिरंगे वस्त्र धारण कराना - ये सब सेवाएँ आपकी जो सहचरियाँ करती है , मैं उनके संग की कामना कर रही हूँ ..बस उन सहचरियों के
पीछेपीछे ही मैं सेवा लालसा से प्रत्येक क्षण रहती आऊँ !!!
♻ हे प्राणेश्वरी ! मैं आपके लिए जल को सुगन्धित कर रत्न जटित पात्र में झारी के संग भर लाऊँ !! कर्पूर मिश्रित पान सजाकर एवम् सुन्दर डलिया में सुन्दर रीति से लवंग -मालती मालाओं के साथ ले आऊँ !! और आपकी रूचि के अनूठे एवम् भांति भांति के भोग के स्वादिष्ट व्यञ्जन प्रीति पूर्वक जुटाकर मैं कब प्रधाना सखी श्री ललिता जी को अर्पण करूँगी ???
मेरी बस आपसे यही प्रार्थना है कि हर समय मैं आपकी सखियों के पीछेपीछे अवस्थान करूँ !!!
♻♻♻♻
॥श्रीराधारमणाय समर्पणं ॥राधे ।
Comments
Post a Comment