गौरांग प्रभु

श्री गौरांग महाप्रभु की महिमा
*पतित पावन गौर सुंदर *

*हेन गौर दयामय छाडि  सब लाज भय क़ायमने लह रे शरण*
*परम दुर्मति छिल तारे गौर उद्धारिल तारा हैल पतित पावन*
श्री गौरांग महाप्रभु परम दयालु है उन्होंने परम दुर्मिती अधम व्यक्तियो का उद्धार किया है वे पतितो को पावन करने बाले इसलिए लाज भय त्याग कर शरीर एवं मन से गौर सुंदर की शरण ग्रहण करे

*गौर द्विज नटराज बान्धह ह्रदय माझे कि करिवे संसार शयन*
द्विज नटराज गौरचंद्र को अपने ह्रदय में धारण कर
ली जिये फिर संसारिक काल आपका क्या करेगा

*श्रील नारोत्तम दास ठाकुर*
       (प्रार्थना)

*गौरांगेर दुटी पद,जार धन सम्पद,से जाने भक्ति-रस सार*
*गौरांगेर मधुर लीला,जार कर कर्ण प्रवेशिला,हृदय निर्मल भेल तार*

श्री गौरंगदेव के चरणयुगल ही जिनकी धन संपति है वे ही व्यक्ति भक्ति रस के सार को जान सकते है जिनके कानो में गौरांग देव की मधुर लीलाये प्रवेश करती है  उसका ह्रदय निर्मल हो जाता है

*जे गौरांगेर नाम लय,तांर हय प्रेमोदय,तांरे मुई जाई बलिहारी*

*गौरांगेर गुनेते झुरे,नित्य लीला तारे स्फुरे,से जन भक्ति अधिकारी*

जो गौरांग का नाम लेता है उसके ह्रदय में कृष्ण प्रेम उदित हो जाता है जो गौरांग के गुणों में रमण करता है उसके अंदर श्री श्री राधा कृष्ण की नित्य लीलाये स्फुरित होती रहती है वे ही भक्ति के अधिकारी है

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