श्री रंगमहल
[12/9/2016, 10:51 PM] श्री राधे: श्री रंगमहल जहाँ युगल की विभिन्न प्रेम लीलाए होती है।उसके बारे मे सुना जाता है की वह शीशे का बना है किंतु वास्तव मे वह स्वर्ण निर्मित है।किंतु वह शीशे का है यह बात गलत नही है क्योकी उस पर युगल सरकार की विभिन्न लीलाओ के चित्र बनाकर उनको भिन्न भिन्न रंगो के रत्नो से इस प्रकार चित्रित किया गया है की सब जगह रत्नमय हो गयी है।स्वर्ण तो कही दिखाई ही नही देता।उस पर जब सूर्य का प्रकाश पडता है तब लगता है मानो काँच पर पड रहा हो।वह उसी भाँति प्रकीर्ण होने लगता है।
जैसे एक भित्ती पर युगल सरकार नृत्य करते हुए अंकित किये गये है जिनके पटके को किन्ही हरे रंग के रत्नो से बनाया गया है इसी प्रकार दूसरे दूसरे अंगो वस्त्रो आदि को भी।
[12/9/2016, 10:51 PM] श्री राधे: युगल सरकार जहाँ विश्राम करते है व सखिया जहाँ विश्राम करती है,दोनो कक्ष अलग अलग है।
सखियो के लिए एक बडा लंबा सा कक्ष बनाया गया है।जिसमे नीचे भूमि पर सबकी शैय्या लगाई जाती है।
जब सवेरे सखिया युगल को जगाने जाती है तब कपाट बंद होते है वृंदा सखीजु एक सारीका को भीतर भेज देती है।भीतर फिर क्या होता है वह तो नही मालूम।पर ललिता सखीजु सब सखियो को संग ले द्वार पर बैठ कर वीणा वादन व कोई एक पद गायन करती है।सब तब तक प्रतिक्षा करती जब तक भीतर से सारी की" प्रियाप्रियतम की जय हो" ध्वनि न सुनाई दे।
यह सुनते ही ललिता जु हँसते हुए कपाट खोल देती है।भीतर युगल शैय्या पर बैठे है....
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