राम

"राम"
गीता में भगवन नाम जप-
1.वाणी से जप (10/25)-
मुख द्वारा भगवन्नाम लिए जाने पर शरीर के अंदर और बाहर दोनों तरफ शुद्धियाँ हो जातीं हैं।अंदर जो विकार हैं वो भागने लगते हैं।बाहर शरीर को हानी पहुँचाने वाली घटनाएं जो प्रारब्ध से आयी हुईं रहतीं हैं ,उनका अशर कम हो जाता है जैसे जहाँ पूरा हाथ कटना होता है ,वहाँ हाथ में थोडी चोट ही लगेगी।ये भगवन्नाम जप की महिमा है।

2. कंठ से जप (9/14)-
कंठ से जोर-जोर से नाम संकीर्तन किया जाता है।जितने लोगों को भगवन्नाम सुनाई देता है ,उन सब के कुछ पाप कम हो जाते हैं और संकीर्तन करने वाले को भी इसका विशेष फल मिलता है।

3. मन से जप (8/14)-
मन से नामस्मरण होता है।नाम तथा नामी में कोई अंतर नहिं होता।नामस्मरण से सीधे भगवान की समीपता प्राप्त होती है।

नाम को श्वांस तथा हृदय की धडकन से जोडकर भी जप किया जा सकता है ।जिस दिन धडकन से जोडकर नामस्मरण किया जाता है ,उस दिन जो आपको जो देखेगा उसे अनायास ही आप बहुत प्यारे लगेगे ।ये एक विशेष अनुभव की बात है ,करके देखें।आप सहज ही कर सकते हैं।

"राम"

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