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[1]मध्याह्नकालीन सेवा

17.सुगन्धित पुष्प आदि से वासित शीतल जल प्रदान करना।
18.श्रीराधा-रानी के श्री अंगों के लुप्त चित्रों का पुनः निर्माण करना और तिलक-रचना करना।
19.श्रीमती के श्रीअंगों में चतुस्सम के गन्ध का अनुलेपन करना।
20.टूटे हुए मोतियों के हार को गूँथना।
21.पुष्प-चयन करना।
22.वैजयन्ती माला तथा हार एंव गजरे आदि गूँथना।
23.हास-परिहास-रत श्रीयुगल के श्रीहस्त कमलों में मोतियों का हार तथा पुष्पों की माला आदि प्रदान करना।
24.हार-माला आदि पहनाना।
25.श्रीमती की वेणी बाँधना।
26.उनके नयनों में काजल लगाना।
27.उनके अधरों को सुरजिंत करना।
28.चिबुक पर कस्तूरी के द्वारा बिन्दु बनाना।
29.मधुर फलों का संग्रह करना।
30.फलों को बनाकर भोग लगाने के लिये प्रदान करना।
31.मधुर फलों का संग्रह करना।
32.फलों को बनाकर भोग लगाने के लिये प्रदान करना।

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