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निशाकालीनसेवा

11.उनका अवशेष भोजन ग्रहण करना।
12.सखियों के साथ-साथ श्रीराधा-कृष्ण-युगल का मिलन-दर्शन करना तथा उनके ताम्बूल-सेवन और रसालाप आदि की माधुरी के दर्शन करते हुए आनन्द-लाभ करना।
13.सुकोमल शय्या पर श्रीयुगल को शयन कराना।
14.परिश्रान्त श्रीयुगल की व्यजनादि द्वारा सेवा करना और उनके सो जाने पर सखियों का अपनी-अपनी शय्या पर सोना। स्वयं भी वहीं सो जाना।

निम्नलिखित दिनों में श्रीकृष्ण की गोचारण-लीला और श्रीमती की सूर्य पूजा बंद रहती है-
1.श्रीजन्माष्टमी के दिन और उसके बाद दो दिनों तक।
2.श्रीराधाष्टमी के दिन और उसके बाद दो दिनों तक।
3.माघ की शुक्ला पंचमी अर्थात वसन्तपंचमी से फाल्गुनी पूर्णिमा अर्थात दोल पूर्णिमा पर्यन्त 26 दिनों तक।

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