सखी री आयो री
सखी री आयो मेरो पियो को संदेस ।
कीजौ सिंगार री मेरो आवे है बृजेश ।।
पिया बिनहुँ नाँहि प्राण धरूँ पिया मेरो प्राण ।
प्रेम ताहीँ धरूँ सखी निज देह माँहि प्राण ।।
ऐसो मेरो पिया सखी प्रेम माँहि रमत ।
पिया पिया रटूं सखी पिया हिय बसत ।।
बलि बलि जाऊँ पिया अपने सों हिय मोहे लगाये ।
भाग मेरो जागे सखी बाँवरी पिया पाये ।।
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