सप्तम अध्याय 2

श्रीनवद्वीपधाम माहात्म्य

सप्तम अध्याय 2

  इस प्रकार राजा के हृदय में गौरभक्ति का अथाह सागर हिलोरे लेने लगा। एक दिन राजा ने सोते समय सपार्षद गौर गदाधर के दर्शन किये।तप्तकाँचन गौरवर्ण वाले गौरहरि उनके साथ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कहते हुए नृत्य कर रहे थे। सभी भक्त एक दूसरे का आलिंगन कर रहे थे। जैसे ही राजा की नींद खुली अति कातर हो गौरहरि कि प्राप्ति के लिए क्रंदन करने लगा। उसी समय एक आकाशवाणी ने कहा राजन जब मेरी लीला प्रकट होगी तब तुम्हारी गिनती मेरे पार्षदों में होगी। तुम्हारा गौरलीला में नाम बुद्धिमन्त खान होगा तथा तुम महाप्रभु के चरणकमलों की सेवा करोगे। उस देववाणी से राजा अत्यंत पुलकित हो गया तथा गौरकीर्तन करने लगा।

  श्रीनित्यानन्द से प्रभु यह सब वर्णन करते हुए सुनकर कथा के अंत मे श्रीवास नारद के शक्त्यावेश में मूर्छित होकर गिर गए। उसकी ऐसी अवस्था देख श्रीजीव गौर नाम मे उन्मत हो उस रज में लौटपोट होने लगे।अहो! यह कितनी भाग्यशाली भूमि है यहां मैं गौरहरि का दर्शन प्राप्त करूंगा। तभी उन्होंने श्रीमन महाप्रभु को संकीर्तन करते देखा।

   महाप्रभु का अपूर्व सौंदर्य अमृत को भी तिरस्कृत करने वाला था।तभी उन्होंने श्रीमन महाप्रभु जी को संकीर्तन करते देखा। सभी मिलकर गौरहरि का गुणगान कर रहे थे। मृदंग तथा करताल बज रहे थे सभी संकीर्तन में मस्त थे। यह पूर्वलीला महाप्रभु जी के नवद्वीप वास से पूर्व ही प्रकट हो गयी थी। उस समय सभी का हृदय आनन्द से भर गया जो वाणी द्वारा वर्णित नहीं।

    सब उच्च स्वर से कीर्तन करते हुए देवपल्ली ग्राम पहुंचे।दोपहर में सभी ने वहां विश्राम किया तथा श्रीनृसिंह देव् का आतिथ्य स्वीकार किया तथा प्रसाद ग्रहण किया। दिन के अंतिम समय वह देवपल्ली ग्राम का भृमण करने लगे। इस देवपल्ली ग्राम में सतयुग से श्रीनृसिंह भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है। प्रह्लाद पर दया करके हिरण्यकश्यप का वध कर नरसिंह भगवान ने यहां विश्राम किया था।ब्रह्मा आदि देवताओं ने अपने घर वहीं बना ग्राम बसा लिया था। सभी मंदाकिनी के तट पर टीले पर स्थित मंदिर में सेवा में रत हो गए।शास्तरों के अनुसार नवद्वीप का यह क्षेत्र नरसिंह धाम है।

   हे जीव सूर्यटीला, ब्रह्मटीला , गणेषटीला तथा इंद्रटीला का दर्शन करो। यहां बहुत से टीले हैं। यहां विश्वकर्मा ने अनेक मनी माणिक युक्त भवन बसाए थे तथापि वह समय के प्रभाव से लुप्त हो गए हैं। केवलमात्र टीले शेष हैं। आगे इन शिलाखण्डों का दर्शन करो यह सब मन्दिर के अवशेष हैं।कुछ दिन पश्चात एक भक्त नर्सिंग भगवान का कृपा पात्र बनेगा तथा नरसिंह भगवान की पुनः प्रतिष्ठा करके सेवा प्राप्त करेगा।

   श्रीनित्यानन्द प्रभु तथा श्रीजाह्वा देवी के सुशीतल चरण कमलों की प्राप्ति के आश्रय से श्रील भक्तिविनोद ठाकुर श्रीनवद्वीप धाम का गुणगान कर रहे हैं।

सप्तम अध्याय समाप्त

जय निताई जय गौर

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